Vice President Election 2025 : देश के नए उपराष्ट्रपति होंगे सीपी राधाकृष्णन, इंडिया गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से दी शिकस्त

Vice President Election 2025 : सी पी राधाकृष्णन को देश का नया उपराष्ट्रपति चुना गया है. मंगलवार को हुए मतदान में उन्हें 452 मत मिले हैं. जबकि बी सुदर्शन रेड्डी को 300 मत ही मिल पाए.....

Vice President Election 2025 : देश के नए उपराष्ट्रपति होंगे
देश को मिले नए उपराष्ट्रपति - फोटो : SOCIAL MEDIA

New Delhi : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को भारत का अगला उपराष्ट्रपति चुना गया है। मंगलवार को हुए मतदान में उन्होंने विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को निर्णायक शिकस्त दी। यह जीत एनडीए के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है, जो सरकार की मजबूत स्थिति को दर्शाती है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को कुल 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बी. सुदर्शन रेड्डी 300 वोटों तक ही पहुँच पाए। इस जीत के साथ, राधाकृष्णन अब देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। इस चुनाव में मिली बड़ी जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संसद में एनडीए का दबदबा बरकरार है। जबकि इस चुनाव में 14 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है। 

सीपी राधाकृष्णन की जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की एकजुटता का परिणाम माना जा रहा है। चुनाव के दौरान, एनडीए के सभी घटक दलों ने एक साथ आकर अपने उम्मीदवार का समर्थन किया, जिससे मतदान में उनकी जीत सुनिश्चित हुई। राधाकृष्णन का अनुभव और राजनीतिक पृष्ठभूमि उनके पक्ष में काम आई। इंडिया गठबंधन के लिए यह चुनाव एक बड़ा झटका है, क्योंकि उनके उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल पाया। गठबंधन की कोशिशें सफल नहीं हो पाईं, और वे एनडीए की एकजुटता को भेदने में नाकाम रहे। यह हार विपक्षी दलों के लिए आगे की रणनीति पर विचार करने का एक अवसर भी है।

सीपी राधाकृष्णन अब अगले पांच साल के लिए देश के उपराष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। उनका कार्यकाल कई महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारियों को लेकर आएगा, जिसमें राज्यसभा के सभापति का पद भी शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी नियुक्ति से सरकार को संसद के दोनों सदनों में अपनी नीतियों को सुचारू रूप से लागू करने में मदद मिलेगी।