Justice Yashwant Varma Cash Recovery Case :इलाहाबाद HC के लिए कैसे फिट हैं जस्टिस यशवंत वर्मा? ....कैश कांड में फंसे जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर पर हरीश साल्‍वे का पारा हाई,कहा-यह 70-80 का दशक नहीं

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जुड़े घर में कथित नकदी प्रकरण मामले में पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि न्यायिक नियुक्ति की जो प्रणाली "आज हमारे पास है, वह बेकार है।"

Justice Yashwant Varma Cash Recovery Case
इलाहाबाद HC के लिए कैसे फिट हैं जस्टिस यशवंत वर्मा? - फोटो : social Media

Justice Yashwant Varma Cash Recovery Case :जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए फिट होना एक विवादास्पद मुद्दा है,जो हाल ही में उनके निवास से बड़ी मात्रा में नकदी की कथित बरामदगी के बाद उभरा है। इस मामले ने न्यायिक जवाबदेही और कॉलेजियम प्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।जस्टिस यशवंत वर्मा के निवास से कथित तौर पर नकदी मिलने और बाद में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने के मामले में उत्पन्न विवाद पर वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने शुक्रवार को जजों की नियुक्ति प्रणाली (कॉलेजियम सिस्टम) की तीव्र आलोचना की। उन्होंने जजों की नियुक्ति में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया। समाचार चैनलों से बातचीत करते हुए साल्वे ने कहा कि इस घटना ने न्यायपालिका की संस्था को चुनौती दी है और केवल एक आंतरिक जांच से समाधान नहीं होगा।

हाल ही में, जस्टिस वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया। यह निर्णय तब लिया गया जब उनके आधिकारिक बंगले से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होने की रिपोर्ट आई। हालांकि, दिल्ली अग्निशामक सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने स्पष्ट किया कि उनके निवास पर कोई नकदी नहीं मिली थी, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है.

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कॉलेजियम प्रणाली इस प्रकार के मामलों को संभालने के लिए “सुसज्जित” नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आरोप झूठे हैं, तो यह गंभीर प्रश्न उठाता है कि ऐसे आरोप क्यों लगाए गए। दूसरी ओर, यदि आरोप सही हैं, तो यह न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है.

इस मामले ने भारत में न्यायिक जवाबदेही पर एक नई बहस को जन्म दिया है। साल्वे ने सुझाव दिया कि जस्टिस वर्मा को निलंबित किया जाना चाहिए था और एक खुली जांच का आदेश दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक स्थानांतरण आदेशों को रोकना चाहिए.


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