Ahmedabad plane crash: पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की पहचान हुई, अंतिम संस्कार आज राजकोट में, 275 की मौत, 20 शव सौंपे गए
Ahmedabad plane crash: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की DNA पहचान की पुष्टि के साथ, अहमदाबाद विमान हादसे की भयावहता और भी गहरी हो गई है।

Ahmedabad plane crash: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की DNA पहचान की पुष्टि के साथ, अहमदाबाद विमान हादसे की भयावहता और भी गहरी हो गई है। उनके पार्थिव शरीर को अब राजकोट में अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपा जाएगा। यह हादसा अब तक 275 जानें ले चुका है, और इसे भारत के सबसे गंभीर नागरिक हवाई हादसों में एक माना जा रहा है।
विजय रूपाणी की पहचान की पुष्टि DNA मिलान से हुई। 248 शवों के DNA सैंपल लिए गए, जिनमें से अब तक 31 की पुष्टि हुई है। 20 शव परिजनों को सौंपे गए, साथ में डेथ सर्टिफिकेट भी प्रदान किए गए हैं। 192 एम्बुलेंस और 230 टीमें राज्यभर में सक्रिय रूप से शवों को गृहनगर पहुंचाने में लगी हैं। 170 ताबूतों का ऑर्डर, जिनमें से 100 पहले ही वडोदरा से अहमदाबाद लाए जा चुके हैं।अंतरराष्ट्रीय पहलू भी गंभीर
हादसे में विदेशी नागरिकों की भी मृत्यु हुई है।11 विदेशी मृतकों के परिजन आज अहमदाबाद पहुंच सकते हैं।सरकार और दूतावासों के बीच समन्वय लगातार जारी है ताकि शवों की पहचान और दफन/अंत्येष्टि प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो।
प्रशासन की तैयारियां और चुनौतियां
इतने बड़े पैमाने पर शवों की पहचान, संरक्षित रखना और सौंपने की प्रक्रिया तत्कालीन प्रशासनिक क्षमता की कड़ी परीक्षा बन चुकी है।230 टीमें न केवल लॉजिस्टिक्स को संभाल रही हैं, बल्कि मृतकों के परिजनों को मानसिक और विधिक सहयोग भी दे रही हैं।
ताबूतों की व्यवस्था, DNA परीक्षण की प्राथमिकता, और राज्य स्तर पर समन्वय, यह सभी दर्शाते हैं कि हादसे की भयावहता को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।
विजय रूपाणी, जो 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, इस विमान हादसे के सबसे प्रमुख शिकारों में शामिल हैं। उनके निधन से न केवल राजनीतिक जगत शोक में है, बल्कि यह हादसा एक राज्य-स्तरीय शोक समारोह का रूप ले चुका है।
आज उनका अंतिम संस्कार राजकोट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी बन चुका है। DNA मिलान के धीमे लेकिन सटीक प्रयास, शवों की सुरक्षित सुपुर्दगी, और अंतरराष्ट्रीय समन्वय यह दिखाता है कि भारत का आपदा प्रबंधन ढांचा किस हद तक सक्रिय हो सकता है — लेकिन साथ ही यह भी कि अभी और सुधार की जरूरत है, विशेष रूप से बड़े पैमाने की दुर्घटनाओं में।