Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में हाई-वोल्टेज सुनवाई आज, अंतरिम आदेश की संभावना
Waqf Amendment Act: भारत के सर्वोच्च न्यायालय में आज यानी मंगलवार को वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक अहम सुनवाई होने जा रही है।

Waqf Amendment Act: भारत के सर्वोच्च न्यायालय में आज यानी मंगलवार को वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक अहम सुनवाई होने जा रही है। इस मामले में शीर्ष अदालत अंतरिम आदेश पारित करने की संभावना पर विचार करेगी, जो देश भर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और स्वामित्व से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने 15 मई को सुनवाई को स्थगित करते हुए स्पष्ट किया था कि वह तीन प्रमुख मुद्दों पर दलीलें सुनेगी और इन पर अंतरिम निर्देश जारी करने पर विचार करेगी।
याचिकाकर्ताओं ने वक्फ संशोधन कानून 2025 के कई प्रावधानों को संविधान के विपरीत बताते हुए इन्हें चुनौती दी है। इनमें निम्नलिखित तीन मुख्य मुद्दे शामिल हैं:
'वक्फ बाई यूजर' और 'वक्फ बाई डीड' की मान्यता: पहला मुद्दा उन संपत्तियों से संबंधित है, जो 'वक्फ बाई यूजर' (उपयोग के आधार पर वक्फ) या 'वक्फ बाई डीड' (दस्तावेज द्वारा वक्फ) के तहत घोषित की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संशोधन कानून में इन संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना: दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इन संस्थानों का संचालन, पदेन सदस्यों को छोड़कर, केवल मुसलमानों द्वारा किया जाना चाहिए, क्योंकि वक्फ संपत्तियां इस्लामी धार्मिक परंपराओं से जुड़ी हैं। उनका कहना है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति से वक्फ के प्रबंधन में धार्मिक स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है।
कलेक्टर की जांच और सरकारी भूमि का प्रावधान: तीसरा विवादास्पद मुद्दा उस प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि यदि कलेक्टर की जांच में कोई संपत्ति सरकारी भूमि के रूप में पाई जाती है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह प्रावधान वक्फ संपत्तियों की प्रकृति को बदल सकता है और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।