Indian Army: बम निरोधक दस्ते करेंगे मौत के सामान की सफाई, कहर के बीच रेड अलर्ट! सीमावर्ती गांव बने नो-मैन्स लैंड

Indian Army:प्रशासन ने एक कठोर फरमान जारी करते हुए एलओसी और आईबी के पास बसे गांवों के निवासियों को फिलहाल अपने घरों की ओर लौटने से सख्त मना कर दिया है।

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बम निरोधक दस्ते करेंगे मौत के सामान की सफाई,- फोटो : meta

Indian Army:भारत-पाकिस्तान सीमा पर बारूद उगलती तोपों और सरहद पार से जारी अंधाधुंध गोलीबारी ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में जिंदगी को ठहर सा दिया है। रविवार को प्रशासन ने एक कठोर फरमान जारी करते हुए नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास बसे गांवों के निवासियों को फिलहाल अपने घरों की ओर लौटने से सख्त मना कर दिया है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इन क्षेत्रों में मौत का सामान यानी बिखरा हुआ गोला-बारूद हर पल जानलेवा खतरा बनकर मंडरा रहा है। अब इन इलाकों को सुरक्षित बनाने का जिम्मा बम निरोधक दस्तों ने उठाया है, जो चप्पे-चप्पे की तलाशी लेकर मौत के इन अवशेषों को ठिकाने लगाएंगे।

7 मई से पाकिस्तानी सेना द्वारा शुरू की गई भीषण गोलाबारी के बाद एलओसी और आईबी के आसपास के लगभग दो लाख से अधिक बाशिंदों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। अब कश्मीर घाटी में पुलिस ने एक सख्त परामर्श जारी कर लोगों को आगाह किया है कि बिखरे हुए गोला-बारूद के कारण गांवों में लौटना जान जोखिम में डालने जैसा है। जम्मू क्षेत्र, खासकर पुंछ जिले में, पुलिस वाहनों के जरिए लगातार सार्वजनिक घोषणाएं की जा रही हैं, जिनमें लोगों से किसी भी संदिग्ध वस्तु को न छूने और तुरंत पुलिस या सुरक्षा शिविर को सूचित करने का आग्रह किया जा रहा है।

पुरानी त्रासदी का खौफ! 41 जिंदगियां लील गया था बारूद!

वर्ष 2023 में नियंत्रण रेखा के पास छूटे हुए गोला-बारूद के एक भयावह विस्फोट में 41 निर्दोष लोगों की दर्दनाक मौत को याद करते हुए प्रशासन इस बार कोई भी जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं है। बम निरोधक दस्ते अब युद्धस्तर पर प्रभावित क्षेत्रों में गहन तलाशी अभियान चलाएंगे ताकि हर खतरनाक सामग्री को ढूंढकर निष्क्रिय किया जा सके। निवासियों को भी पूरी तरह से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध वस्तु के दिखाई देने पर तत्काल सूचना देने की सख्त हिदायत दी गई है।

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'ऑपरेशन सिंदूर' की आग! सीमा पर धधकती नफरत!

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने सीमा पार आतंकियों के 9 ठिकानों को धूल चटा दी थी। लेकिन इस कार्रवाई के बाद सीमा पार से गोलीबारी, ड्रोन हमले और मिसाइल हमलों में तेजी आ गई, जिसमें अकेले पुंछ में 18 और कुल मिलाकर 25 लोगों की जान चली गई, जबकि 50 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

सीजफायर का झूठा वादा! चंद घंटों में तोड़ी कसम!

शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल रोकने पर सहमति बनी थी, जिससे सीमावर्ती इलाकों में थोड़ी शांति की उम्मीद जगी थी। हालांकि, नई दिल्ली ने कुछ ही घंटों के भीतर इस्लामाबाद पर इस समझौते का घोर उल्लंघन करने का गंभीर आरोप लगाया। पाकिस्तानी सेना ने कुपवाड़ा, उरी, अखनूर, पुंछ और बारामुल्ला में बिना किसी उकसावे के भारी गोलीबारी शुरू कर दी, जिसका भारतीय सेना ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।

जम्मू-कश्मीर में प्रशासन और सुरक्षा बल पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त और तेज कर दी गई है, और बिहार की तरह ही यहां भी संभावित खतरों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल और साइबर निगरानी को और अधिक प्रभावी बना दिया गया है। निवासियों से बार-बार अपील की जा रही है कि वे प्रशासन के हर निर्देश का पालन करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत साझा करें।

जब तक बम निरोधक दस्ते पूरे इलाके से गोला-बारूद को सफलतापूर्वक हटाकर क्षेत्र को पूरी तरह से सुरक्षित घोषित नहीं कर देते, तब तक सीमावर्ती गांवों में वापसी पर पूर्ण प्रतिबंध जारी रहेगा। भारत सरकार और स्थानीय प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा और सीमा पर स्थायी शांति बनाए रखना है। इस तनावपूर्ण और नाजुक स्थिति में सुरक्षा बलों की अटूट सतर्कता और नागरिकों का पूर्ण सहयोग ही इस संकट से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।