Ahmedabad Plane Crash: हादसे के ठीक पहले पायलट ने की 'मेडे... मेडे... मेडे' की पुकार, क्या है भारत के सबसे बड़े विमान हादसे की वजह, पढ़िए
Ahmedabad Plane Crash: हादसे से कुछ पल पहले पायलट सुमित सबरवाल की ओर से एटीसी को ‘मेडे’ कॉल दी गई, जो किसी भी पायलट की आखिरी और आपातकालीन चेतावनी मानी जाती है। इससे यह संकेत मिला कि पायलट को खतरे का एहसास हो गया था, लेकिन...

Ahmedabad Plane Crash: गुरुवार दोपहर को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरते ही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, टेक-ऑफ के कुछ सेकंड्स में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो चुकी है। अब तक ड्रीमलाइनर विमानों की कोई बड़ी क्रैश हिस्ट्री नहीं रही है, ऐसे में इस हादसे ने एविएशन जगत में कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे के ठीक पहले 'मेडे... मेडे... मेडे' की पुकार
हादसे से कुछ पल पहले पायलट सुमित सबरवाल की ओर से एटीसी को ‘मेडे’ कॉल दी गई, जो किसी भी पायलट की आखिरी और आपातकालीन चेतावनी मानी जाती है। इससे यह संकेत मिला कि पायलट को खतरे का एहसास हो गया था, लेकिन स्थिति को संभालने के लिए समय और नियंत्रण दोनों नहीं थे।रिटायर्ड एयर कोमोडोर एस. पी. सिंह के मुताबिक, पायलट को चेतावनी देने का मौका मिला, लेकिन नियंत्रण खो चुका था। ये ‘डुअल इंजन फेल्योर’ का संभावित मामला बताया जा रहा है।
तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय त्रुटि?
इंजन फेल्योर:ड्रीमलाइनर एक डुअल इंजन एयरक्राफ्ट है। सामान्यतः एक इंजन फेल होने की स्थिति में दूसरा इंजन विमान को सुरक्षित उतार सकता है। दोनों इंजनों का एकसाथ फेल होना तकनीकी रूप से दुर्लभ लेकिन घातक स्थिति होती है।
मौसम और गर्मी:अहमदाबाद में उड़ान के समय तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था। उच्च तापमान पर हवा की डेंसिटी कम हो जाती है, जिससे इंजन को जरूरी थ्रस्ट नहीं मिल पाता। विशेषज्ञ अनंत सेठी के मुताबिक, इससे फ्यूल-एयर मिक्सचर गड़बड़ा जाता है और इंजन को पर्याप्त पावर नहीं मिलती।
टेकऑफ में एरर:फ्लाइट राडार24 के अनुसार विमान ने रनवे-23 का पूरा इस्तेमाल किया और 625 फीट की ऊंचाई प्राप्त की। लेकिन कुछ X (पूर्व ट्विटर) यूजर्स और विश्लेषकों का कहना है कि फ्लैप्स की पोजिशनिंग गलत हो सकती है। यदि फ्लैप्स 0 डिग्री पर थे तो यह टेक-ऑफ के लिए घातक एरर हो सकता है।
एयरोडायनामिक असंतुलन:वीडियो फुटेज से संकेत मिला कि विमान की नोज नीचे और टेल ऊपर थी, यानी पायलट उसे ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह स्टॉल मोड में चला गया।
ब्लैक बॉक्स और CVR से मिल सकती है असली वजह
अब हादसे की जांच का सबसे अहम पहलू ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) है। ये दोनों उपकरण विमान की सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों, संवादों और तकनीकी मानकों की रिकॉर्डिंग करते हैं। गति, ऊंचाई, पिच, फ्लैप्स की स्थिति, इंजन थ्रस्ट आदि जैसे सेंसर डेटा इसमें सुरक्षित रहता है।ब्लैक बॉक्स को 3,400°C तक ताप, 5,000 G झटके और 20,000 फीट समुद्र गहराई तक सुरक्षित रहने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि यह दुर्घटना की असल वजह बताने में सक्षम होगा।