OpereationSindoor: युद्द हुआ तो सिर्फ इतने दिन टिकेगा पाकिस्तान, भारत के डर से पाक सेना में इस्तीफों की सुनामी! फिर भी गीदड़ भभकियां
OpereationSindoor: गोला-बारूद की कमी और कमजोर सैन्य स्थिति के बावजूद, पाकिस्तानी नेतृत्व भारत को धमकाने से बाज नहीं आ रहा।

OpereationSindoor: भारत के साथ बढ़ते तनाव और 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तानी सेना एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। खुफिया सूत्रों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के पास अब केवल 96 घंटे (4 दिन) तक उच्च-तीव्रता वाले युद्ध के लिए गोला-बारूद बचा है। पाकिस्तान की सैन्य रणनीति, जो भारत की संख्यात्मक और रणनीतिक श्रेष्ठता का मुकाबला करने के लिए तेजी से मोर्चा संभालने और तोपखाने (आर्टिलरी) पर निर्भर है, अब गंभीर खतरे में है। इस संकट का प्रमुख कारण पाकिस्तान की अपनी नीतियां हैं, विशेष रूप से यूक्रेन को भारी मात्रा में गोला-बारूद का निर्यात, जिसने उसके सैन्य भंडारों को लगभग खाली कर दिया है।
गोला-बारूद की कमी का संकट
पाकिस्तानी सेना के प्रमुख हथियार, जैसे M109 हॉवित्जर के लिए 155 मिमी गोले और BM-21 सिस्टम के लिए 122 मिमी रॉकेट, अब स्टॉक में बेहद कम हैं। फरवरी-मार्च 2023 में ही पाकिस्तान ने यूक्रेन को 42,000 122 मिमी BM-21 रॉकेट, 60,000 155 मिमी हॉवित्जर गोले और 130,000 अतिरिक्त 122 मिमी रॉकेट भेजे, जिससे उसे 364 मिलियन डॉलर की कमाई हुई। इन निर्यातों से प्राप्त 80% धनराशि कथित तौर पर सेना के जनरल हेडक्वार्टर्स (रावलपिंडी) को दी गई, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि देश के सैन्य भंडार खाली हो गए।
पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री (POF), जो सेना के लिए गोला-बारूद बनाती है, पुरानी तकनीक, सीमित उत्पादन क्षमता और वैश्विक मांग के दबाव के कारण भंडार को फिर से भरने में असमर्थ है। हाल ही में खरीदे गए SH-15 माउंटेड गन सिस्टम्स, जिन्हें स्वदेशी गोला-बारूद के भरोसे खरीदा गया था, अब बेकार पड़े हैं क्योंकि 155 मिमी गोले उपलब्ध नहीं हैं। इस संकट की गंभीरता को 2 मई 2025 को आयोजित विशेष कॉर्प्स कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भी स्वीकार किया गया, जहां सैन्य नेतृत्व में "चिंता और घबराहट" की स्थिति बताई गई। पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी पहले स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के पास भारत के साथ लंबे युद्ध के लिए न तो गोला-बारूद है और न ही आर्थिक ताकत।
आर्थिक संकट और सैन्य कटौती
पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने इस संकट को और गहरा किया है। रिकॉर्ड महंगाई, बढ़ता कर्ज और तेजी से घटता विदेशी मुद्रा भंडार सेना की तैयारियों पर भारी पड़ रहा है। सेना को राशन में कटौती, ईंधन की राशनिंग, सैन्य अभ्यासों को स्थगित करने और युद्धाभ्यास रद्द करने जैसे कदम उठाने पड़े हैं। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना के पास वाहनों के लिए ईंधन तक नहीं है, और सैनिक पैदल सीमा की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।
गीदड़ भभकियां और परमाणु धमकी
गोला-बारूद की कमी और कमजोर सैन्य स्थिति के बावजूद, पाकिस्तानी नेतृत्व भारत को धमकाने से बाज नहीं आ रहा। पाकिस्तानी राजदूत ने दावा किया कि अगर भारत हमला करता है, तो इस्लामाबाद परमाणु हथियारों सहित अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करेगा। इसके अलावा, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, मंत्री हनीफ अब्बासी और अताउल्लाह तरार जैसे नेताओं ने भी भारत के खिलाफ उकसावे भरे बयान दिए हैं। यह बयानबाजी तब हो रही है जब पाकिस्तान आर्थिक रूप से टूट चुका है, उसकी जनता आटा और पानी के लिए जूझ रही है, और सेना के पास 4 दिन से ज्यादा युद्ध लड़ने की क्षमता नहीं है।
सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि भारत के डर से पाकिस्तानी सेना में इस्तीफों की सुनामी आ गई है, और हजारों सैनिक और अधिकारी सुरक्षित ठिकानों की तलाश में देश छोड़ रहे हैं। हालांकि, ये दावे असत्यापित हैं और अतिशयोक्ति प्रतीत होते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
'ऑपरेशन सिंदूर' में भारत ने 7 मई 2025 को रात 1:45 बजे 9 आतंकी ठिकानों—मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, और मुजफ्फराबाद, कोटली, सियालकोट, बरनाला, गुलपुर, भिंबर, चक अमरु में अन्य शिविरों—को नष्ट कर दिया। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिसमें मुरीदके में 30 और बहावलपुर में जैश के कई टॉप कमांडर शामिल थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन की वार रूम से निगरानी की और इसका नाम 'सिंदूर' सुझाया, जो पहलगाम हमले में मारे गए पुरुषों की पत्नियों के सूने मांग के प्रतीक के रूप में रखा गया। पाकिस्तान ने इन हमलों को स्वीकार किया, लेकिन इसे "कायराना" करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी तेज हो गई, जिसमें 3 भारतीयों की मौत हुई। पाकिस्तान की यह बौखलाहट उसकी सैन्य और आर्थिक कमजोरी को और उजागर करती है।