भारत के “सुदर्शन चक्र” के वार से पाकिस्तान धुआं- धुआं! जानें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम में है कितना दम
पाकिस्तान की ओर से भारत पर लॉन्च किए गए प्रोजेक्टाइल को भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने न केवल ट्रैक किया, बल्कि उसे मार भी गिराया, इसकी खूबिया जानकर आप खुश हो जायेंगे

N4N डेस्क: भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए और हताश पाकिस्तान ने बुधवार रात जम्मू कश्मीर से लेकर गुजरात तक कम से कम 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को मिसाइल और ड्रोन से निशाना बनाने की कोशिश की जिसे भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने पूरी तरह से नाकाम कर दिया और जवाबी कार्रवाई में लाहौर की वायु रक्षा प्रणाली ध्वस्त कर दी. दरअसल सरहद पर तैनात है भारतीय वायुसेना द्वारा ऑपरेशनल रूस निर्मित S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन की हर चाल को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है.आइए जानते है S -400 की खासियत जानते हैं.
S-400 डिफेंस सिस्टम से नाकाम किया पाक का हर वार
विदित हो कि 7-8 मई की दरमियानी रात जब पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला करने की नापाक साजिश रची, तब भारत ने अपने सुरक्षा कवच का असली दम दिखा दिया. पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात तक फैले कुल 15 भारतीय शहरों- श्रीनगर, पठानकोट, अमृतसर, जालंधर, बठिंडा, चंडीगढ़, भुज सहित अन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था. लेकिन भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने आसमान से बरसती हर मिसाइल और ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर दिया. गुरुवार सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान के भीतर कई अहम सैन्य ठिकानों पर हमला किया. इस जवाबी कार्रवाई में लाहौर, सियालकोट और कराची के आसपास तैनात पाकिस्तान का एयर डिफेंस रडार सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया.रक्षा मंत्रालय ने दोपहर 2:30 बजे इसकी औपचारिक जानकारी दी और कहा कि भारत ने बिलकुल सटीक और संतुलित जवाबी हमला किया है, जिससे पाकिस्तान को बड़ा सैन्य नुकसान हुआ है.
सूत्रों के अनुसार, भारतीय हमले में पाकिस्तान के तीन प्रमुख एयर डिफेंस बेस, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियां नष्ट हो गईं. भारत ने अपने हमले में नागरिक क्षेत्रों को छुआ तक नहीं, केवल सैन्य ठिकानों को ही टारगेट किया गया.S-400 की तैनाती ने यह साफ कर दिया कि भारतीय सीमाएं अब पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं. इस हाईटेक सिस्टम की वजह से पाकिस्तान की मिसाइलें भारतीय सीमा में दाखिल नहीं हो सकीं और सभी खतरों को पहले ही हवा में खत्म कर दिया गया. अब पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय और सेना में हलचल मची हुई है. बौखलाए पाकिस्तान ने भले ही “हर खून का बदला लेने” की धमकी दी हो, लेकिन भारत का रक्षा कवच पूरी तरह मुस्तैद है और ‘सुदर्शन चक्र’ यानी S-400 किसी भी नई चुनौती का सामना करने को तैयार है.
S-400 खास क्यों?
S-400 भारत का ‘अदृश्य कवच’ है, इसे सुदर्शन चक्र का नाम दिया गया है.यह 600 किमी दूर तक खतरों को ट्रैक कर सकता है और 400 किमी की दूरी तक लक्ष्य को मार गिरा सकता है. इसमें चार प्रकार की मिसाइलें लगती हैं, जो लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन को आसानी से निशाना बना सकती हैं. इसकी रडार तकनीक बेहद आधुनिक है, जो एक साथ कई लक्ष्यों को पहचानकर ट्रैक कर सकती है.भारत ने रूस से पांच S-400 सिस्टम की डील 2018 में की थी, जिसमें तीन स्क्वाड्रन पहले ही तैनात हैं. इस हाईटेक डिफेंस सिस्टम में लॉन्चर, रडार, कंट्रोल यूनिट्स और सपोर्ट व्हीकल्स होते हैं.वही दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास चीन निर्मित HQ-9 डिफेंस सिस्टम है, लेकिन S-400 उससे कहीं ज्यादा एडवांस, तेज और सटीक है. यही वजह है कि अब पाकिस्तान की हर हिमाकत का जवाब सरहद पर भारत का ‘सुदर्शन’ देगा. भारत की रणनीतिक संपत्तियों की सुरक्षा अब अभेद्य है.
S-400 बनाम HQ-9: कौन है श्रेष्ठ?
भारत का 'सुदर्शन चक्र' S-400 ट्रायंफ और पाकिस्तान का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम दोनों ही अपने-अपने देशों के लिए बेहद अहम हैं, लेकिन अगर हम स्पीड और क्षमता की बात करें तो S-400 कई मायनों में HQ-9 से आगे है. S-400 रूस द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम है, जो 400 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकता है. इसकी मिसाइलें मैक्सिमम 4.8 मैक (लगभग 5,900 किमी/घंटा) की रफ्तार से उड़ सकती हैं. इसके चार प्रकार की मिसाइलें विभिन्न रेंज के लक्ष्यों पर अटैक कर सकती हैं- नजदीक से लेकर लंबी दूरी तक.वहीं पाकिस्तान के पास मौजूद HQ-9 सिस्टम, जो चीन द्वारा विकसित है, इसकी अधिकतम मारक दूरी लगभग 200 किलोमीटर है और इसकी मिसाइलें करीब 4.2 मैक (लगभग 5,000 किमी/घंटा) की रफ्तार से उड़ती हैं. यानी स्पष्ट है कि S-400 न केवल स्पीड के मामले में तेज है, बल्कि इसकी रेंज और मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट क्षमता भी ज्यादा उन्नत है. S-400 के रडार सिस्टम की ट्रैकिंग क्षमता भी बेहतर मानी जाती है, जिससे यह हवाई खतरों को पहले पहचानकर अधिक कुशलता से जवाब दे सकता है.