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Supreme Court News: मुसलमानों को 'मियां-तियां या पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, जानिए किस मामले में हुई सुनवाई

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को मियां-तियां या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं है। आइए जानते हैं किस मामले में यह सुनवाई हुई है।

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Supreme Court big decision- फोटो : social media

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि ये कहना गलत और आपत्तिजनक है लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है और स्पष्ट किया है कि ऐसी टिप्पणी को धार्मिक भावनाएं आहत करने के अपराध के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह फैसला 80 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करते हुए दिया गया।

मियां-तियां या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं 

दरअसल, बुजुर्ग व्यक्ति पर आरोप था कि उन्होंने एक व्यक्ति को 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहा, जिससे उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इसी आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस केस को खारिज कर दिया।

क्या है पूरा मामला 

बेंच ने कहा, "यह स्वीकार किया जा सकता है कि ऐसी टिप्पणी अनुचित और गलत है, लेकिन इससे संबंधित व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होतीं।" मामला झारखंड के बोकारो का था, जहां उर्दू अनुवादक मोहम्मद शमीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि बुजुर्ग व्यक्ति ने उन्हें 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर अपमानित किया। इस शिकायत के आधार पर बुजुर्ग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), 504 (जानबूझकर अपमान करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 353 (सरकारी कर्मचारी से दुर्व्यवहार) के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस जांच के बाद चार्जशीट दायर की गई, और जुलाई 2021 में मजिस्ट्रेट ने मामला संज्ञान में लेते हुए बुजुर्ग को समन जारी किया।

हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का किया था रुख

बुजुर्ग व्यक्ति ने पहले अडिशनल सेशन जज और फिर हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हालांकि उनकी टिप्पणी अनुचित थी, लेकिन इस आधार पर आपराधिक मामला नहीं बन सकता। यह निर्णय भविष्य में ऐसे अन्य मामलों के लिए एक मिसाल बन सकता है।

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