Patna news - गाय घाट महिला रिमांड होम केस में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदला, तत्कालीन सुपरीटेंडेंट को लेकर दे दिया बड़ा आदेश

Patna news - गाय घाट महिला रिमांड होम में सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को बदल दिया है। मामले में शीर्ष न्यायालय में तत्कालीन सुपरीटेंडेंट को लेकर बड़ा आदेश दे दिया।

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Patna - पटना के गाय घाट महिला रिमांड होम केस में तत्कालीन अधीक्षिका वंदना गुप्ता की मुश्किलें बढ़ती  हुई नजर आ रही है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश देते  हुए वंदन गुप्ता को सरेंडर करने करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट से इसके लिए 4 सप्ताह के अंदर का वक्त उन्हें दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए एडवोकेट मीनू कुमारी ने बताया कि वंदना गुप्ता को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजने का आदेश दिया गया है। 

क्या है पूरा मामला

मामला नाबालिग बच्चियों के रेप से जुड़ा था। गाय घाट महिला रिमांड होम की तत्कालीन सुपीटेंडेंट वंदना गुप्ता के खिलाफ पटना के महिला थाना में दो FIR दर्ज हुए थे। इसमें पहली FIR 13/22 और दूसरी FIR 17/22 दर्ज हुई थी। उस वक्त दो अलग-अलग लड़कियों के बयान पर केस दर्ज किया गया था। एडवोकेट मीनू कुमारी दोनों ही केस में पीड़ित लड़कियों का पक्ष कोर्ट में रख रही थीं।

पटना हाईकोर्ट ने दोनों केस में जमानत

केस दर्ज होने के करीब 6 महीने बाद पटना पुलिस की SIT ने 27 अगस्त 2022 को वंदना गुप्ता को गिरफ्तार किया था। कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया था। पटना के पॉक्सो कोर्ट से जमानत नहीं मिलने के बाद वंदना गुप्ता के एडवोकेट ने हाई कोर्ट में अपील की थी। पहले उन्हें एक केस में जमानत मिली। फिर 18 जनवरी 2024 को उन्हें दूसरे केस में भी जमानत मिल गई थी। इसके बाद वो जेल से बाहर आ गईं। पर उसी बीच उन्हें करीब 16 महीने से अधिक जेल में रहना पड़ा।

मीनू गुप्ता ने जमानत का किया था विरोध

हाईकोर्ट के इस फैसले के चंद दिनों के अंदर पीड़िताओं की एडवोकेट मीनू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वंदना गुप्ता को जामानत दिए जाने का विरोध किया था। मंगलवार को मीनू ने बताया कि जब तक कोर्ट में केस का ट्रायल चलेगा, तब तक उन्हें कस्टडी में ही रहना होगा। वो जमानत के लिए अप्लाई नहीं कर सकेंगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने माना संगीन मामला

इसे सुप्रीम कोर्ट ने एक संगीन मामला माना है। हमारे तरफ से आधार रखा गया कि जो 4 गवाह थे, उनकी गवाही नहीं हो रही थी। नई सुपरिंटेंडेंट की ओर से सपोर्ट नहीं किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गौर किया और उसे ध्यान में रखते हुए आदेश दिया है। यह फैसला केस नंबर 17/2022 में दिया गया है।