Top Abusive State: जानिए कौन है देश का सबसे अधिक और सबसे कम गालीबाज राज्य, गाली देने में किस स्थान पर हैं बिहार, 11 साल के सर्वे से हुआ खुलासा

Top Abusive State: गाली देने का प्रचलन देश के लगभग सभी राज्यों में हैं. ऐसे में जानिए की देश कौन राज्य गाली देने ने टॉप पर है......पढ़िए आगे

Top Abusive State: जानिए कौन है देश का सबसे अधिक और सबसे कम
देश का गालीबाज राज्य - फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N DESK : भारत विविधता का देश है—जहां हर कुछ किलोमीटर पर न सिर्फ़ भाषा और बोली बदलती है, बल्कि लोगों का व्यवहार भी अलग नजर आता है। इसी भाषा और व्यवहार पर आधारित एक अनोखा सर्वे हाल ही में सुर्खियों में है। "गाली बंद घर अभियान" नाम से 11 साल तक चले इस सामाजिक अध्ययन में यह जानने की कोशिश की गई कि भारत के किस हिस्से में लोग सबसे ज्यादा गालियां देते हैं और इसके पीछे क्या कारण हैं। इस पहल की शुरुआत वर्ष 2014 में डॉ. सुनील जागलान ने की थी, जो "सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन" के संस्थापक और महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में प्रैक्टिसिंग प्रोफेसर हैं। यह अभियान महज कोई सोशल मीडिया ट्रेंड नहीं, बल्कि समाज में गिरती भाषाई मर्यादा को समझने और उसे सुधारने का गंभीर प्रयास था।

70,000 लोगों से बातचीत, 60,000 स्थानों पर चार्ट लगाए गए

देशभर के छात्रों, शिक्षकों, डॉक्टरों, पुलिसकर्मियों, ऑटो चालकों, पंचायत सदस्यों और सफाईकर्मियों समेत 70,000 लोगों से संवाद कर यह डेटा जुटाया गया। 60,000 से अधिक स्थानों पर "गाली बंद घर" के चार्ट लगाए गए ताकि लोग बार-बार पढ़कर अपनी भाषा पर ध्यान दे सकें।

दिल्ली गालियों में सबसे आगे, कश्मीर सबसे पीछे

सर्वे के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली देश का सबसे अधिक गाली-प्रवण क्षेत्र है, जहां 80% लोगों ने स्वीकार किया कि वे अपनी रोजमर्रा की बातचीत में गालियों का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे ट्रैफिक, तेज़ रफ्तार जिंदगी और बढ़ता तनाव मुख्य वजह बताए गए हैं।

गालीबाज टॉप 10 राज्य

टॉप 10 राज्य जहाँ गालियों का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है। उसमे दिल्ली में 80 प्रतिशत लोग गाली देते हैं। पंजाब 78%,  उत्तर प्रदेश 74%, बिहार 74%, राजस्थान 68%,  हरियाणा 62%, महाराष्ट्र 58%, गुजरात 55%, मध्य प्रदेश 48% और उत्तराखंड में 45% लोग गाली देते हैं। वहीं कश्मीर में गालियों का प्रयोग सबसे कम पाया गया, जहां सिर्फ 15% लोगों ने इसे स्वीकारा। इस शालीनता के पीछे वहां की सांस्कृतिक अनुशासन, धार्मिक शांति और पारिवारिक मर्यादा को मुख्य कारण माना गया है।

राज्यवार गालियों के कारण भी अलग

हर राज्य में गालियों की वजह भी अलग अलग हैं। पंजाब और हरियाणा में गालियां अक्सर मजाक और दोस्ताना माहौल में दी जाती हैं। यूपी और बिहार में राजनीति, पारिवारिक कलह और सड़क विवाद इसके प्रमुख कारण हैं। जबकि राजस्थान में ग्रामीण इलाकों में गुस्से और हास्य के रूप में गालियां सामान्य मानी जाती हैं। महाराष्ट्र और गुजरात में शहरी तनाव और युवाओं में स्लैंग संस्कृति हावी है। कश्मीर में धार्मिक और पारिवारिक अनुशासन के चलते गालियों का इस्तेमाल बेहद कम है।

महिलाएं भी पीछे नहीं

एक अहम और चौंकाने वाली बात यह रही कि 30% महिलाओं ने भी स्वीकारा कि वे कभी न कभी गालियों का प्रयोग करती हैं। यह दर्शाता है कि गाली देना अब केवल पुरुषों की आदत नहीं रही, बल्कि समाज में यह व्यवहार सार्वभौमिक बनता जा रहा है।

गाली: आदत या सामाजिक बीमारी?

डॉ. जागलान का मानना है कि गाली देना कोई स्वाभाविक गुण नहीं, बल्कि एक आदतनुमा बीमारी है। "जब बच्चे घर या समाज में लगातार गालियां सुनते हैं, तो वे भी उसे सामान्य मानने लगते हैं। यही भाषा का गिरता स्तर है, जिससे हमें लड़ना है," उन्होंने कहा।