Indore hospital rats attack: इंदौर के अस्पताल में चूहों की दहशत! नवजात बच्चों को उतारा मौत के घाट

Indore hospital rats attack: इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवाय) में चूहों के काटने से नवजात की मौत ने मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही उजागर कर दी। जानें पूरी घटना, सरकारी कार्रवाई और जनता की प्रतिक्रिया।

Indore hospital rats attack
चूहों की दहशत- फोटो : social media

Indore hospital rats attack: इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में चूहों के काटने से नवजात की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। देवास और खंडवा से रेफर होकर आई दो बच्चियों में से एक ने दम तोड़ दिया और दूसरी की हालत गंभीर है। डॉक्टरों का कहना है कि मौत जन्मजात जटिलताओं से हुई, लेकिन सवाल यह है कि आखिर एनआईसीयू जैसी संवेदनशील जगह पर चूहों का प्रवेश कैसे संभव हुआ?

परिवारों की पीड़ा बेहद मार्मिक है। खंडवा की लक्ष्मी और देवास की रेहाना, दोनों ही अपनी बच्चियों के लिए जीवन की उम्मीद लेकर अस्पताल पहुँची थीं। लेकिन लौटते समय उनके हाथों में मासूम की जगह सिर्फ गहरी पीड़ा थी। यह घटना केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विफलता को उजागर करती है।

डॉक्टरों का बयान और असली सवाल

अस्पताल प्रशासन का दावा है कि दोनों नवजात जन्मजात एनीमिया, कम वजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थीं। अधीक्षक और उपाधीक्षक ने कहा कि चूहों के काटने के निशान मामूली थे और मौत का कारण नहीं बने। हालांकि, यह तर्क असली सवाल को दबा नहीं सकता – कि चूहा एनआईसीयू जैसे सुरक्षित क्षेत्र में कैसे पहुँचा?अस्पताल कर्मचारियों ने खुद माना कि एक बड़ा चूहा कई दिनों से एनआईसीयू में घूम रहा था। इसका मतलब है कि निगरानी और कीट नियंत्रण में गंभीर लापरवाही हुई।

अस्पताल की स्थिति गलियारों में चूहों की दावत

एमवाय अस्पताल ही नहीं, बल्कि इसके आस-पास के नेहरू बाल चिकित्सालय, कैंसर अस्पताल और टीबी केंद्र के गलियारों में भी चूहों का आतंक है। प्रबंधन का कहना है कि बारिश और पानी से भरे बिलों की वजह से चूहे बढ़े, जबकि हकीकत यह है कि तीमारदारों द्वारा लाए गए खुले खाने ने अस्पताल को चूहों का अड्डा बना दिया।यह केवल स्वच्छता का सवाल नहीं, बल्कि अस्पताल की बुनियादी सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल है। अगर चूहे एनआईसीयू तक पहुंच सकते हैं, तो बाकी मरीज कितने सुरक्षित हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

सरकार और राजनीति कार्रवाई या दिखावा?

घटना सामने आने के बाद सरकार ने तेजी से कार्रवाई की। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कीट नियंत्रण एजेंसी पर 1 लाख का जुर्माना लगाया, नर्सिंग अधीक्षक को हटा दिया और दो नर्सिंग अधिकारियों को निलंबित कर दिया। विभागाध्यक्ष को भी नोटिस जारी किया गया, लेकिन विपक्ष ने इसे "दिखावटी" करार दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि असली समस्या चूहे नहीं, बल्कि भ्रष्ट प्रशासन है। उन्होंने माँग की कि केवल छोटे कर्मचारियों को नहीं, बल्कि अधीक्षक और स्वास्थ्य मंत्री तक को हटाया जाए।

चूहों का पुराना आतंक

यह पहली बार नहीं है जब चूहों ने सरकारी अस्पतालों की बदहाली उजागर की हो। 2023 में ही कई घटनाएं सामने आईं भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 50 वर्षीय व्यक्ति के शव को चूहों ने कुतर दिया।विदिशा जिला अस्पताल में 70 वर्षीय दुर्घटना पीड़ित की नाक और हाथ चूहों ने खा लिए। सागर जिला अस्पताल में दो शवों की आँखें चूहों ने निकाल दीं।यह सिलसिला बताता है कि समस्या नई नहीं है। यह वर्षों से चली आ रही लापरवाही और व्यवस्था की कमजोरी का परिणाम है।