70 रोटियां निगलने के बाद भी भूख से तड़प रही महिला, घबराहट और बेचैनी ने बढ़ाई मुश्किल, कारण जानकर हैरत में पड़ जाएंगे आप

मंजू रोज़ाना 65 से 70 रोटियाँ खा जाती हैं। सुनने में यह अजीबोगरीब लगता है, मगर यह हक़ीक़त है। परिवार वाले भी हैरान हैं और....

Eating Disode
70 रोटियां निगलने के बाद भी भूख से तड़प रही महिला- फोटो : social Media

मंजू रोज़ाना 65 से 70 रोटियाँ खा जाती हैं। सुनने में यह अजीबोगरीब लगता है, मगर यह हक़ीक़त है। परिवार वाले भी हैरान हैं और ग्रामीण इसे किसी रहस्य की तरह देखते हैं।मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नेवज गाँव की 30 साल की मंजू सौंधिया आज पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। 

दरअसल, मंजू की यह हालत कोई मज़ाक़ नहीं, बल्कि एक न्यूरोलॉजिकल और मानसिक बीमारी का नतीजा है। डॉक्टरों के अनुसार उनके दिमाग़ से लगातार यह सिग्नल मिलता है कि शरीर भूखा है, जबकि हक़ीक़त में पेट भरा होता है। यही वजह है कि उन्हें बार-बार खाना चाहिए होता है। अगर उन्हें खाना न मिले तो बेचैनी और घबराहट बढ़ जाती है।

तीन साल पहले टाइफ़ॉयड के बाद से मंजू की यह तक़लीफ़ शुरू हुई। पहले वे बिलकुल सामान्य थीं, लेकिन उसके बाद भूख इतनी तेज़ बढ़ी कि अब उनका पूरा दिन खाने की चिंता में ही गुज़रता है। हैरानी की बात है कि रोज़ 70 रोटियाँ खाने के बावजूद उनका जिस्म दुबला-पतला है और उनमें मोटापे का कोई निशान नहीं है।

परिजन भोपाल, इंदौर और कोटा जैसे बड़े शहरों में इलाज करवा चुके हैं, लेकिन कोई स्थायी राहत नहीं मिली। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि घर की आर्थिक हालत इतनी नहीं कि रोज़ इतना भोजन जुटा पाना आसान हो।

इस तरह की स्थिति को मेडिकल भाषा में ईटिंग डिसऑर्डर या बिंज-ईटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है। इसमें इंसान बार-बार नियंत्रण खो देता है और भूख न होने पर भी बहुत ज़्यादा खा लेता है।

मुख्य लक्षण

बार-बार तेज़ भूख लगना

लगातार खाने की ज़रूरत महसूस होना

खाना न मिले तो बेचैनी और घबराहट

खाने के बाद भी पेट न भरने का एहसास

जिस्मानी थकान और दिमाग़ी उलझन

मंजू का मामला सिर्फ़ एक अनोखी कहानी नहीं है, बल्कि एक बड़ा सबक भी है कि मानसिक और दिमाग़ी सेहत को कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। अक्सर लोग भूख को सिर्फ़ पेट की बात समझते हैं, जबकि कभी-कभी यह दिमाग़ की गड़बड़ी का भी नतीजा हो सकता है।