ध्वस्त होते घर की छत पर चढ़े बुजुर्ग को जेसीबी से उतारा, बुलडोजर का जलवा या प्रशासनिक जलजला? कानून ने दिखाई लोहे की दबंगाई

Land Encroachment Removal: बुलडोजर अवैध निर्माण पर चढ़ा, माहौल में ऐसी अफरा-तफरी मची कि लोग घर नहीं, किस्मतें समेटने लगे हों।इस बीच एक बुजुर्ग अपने ध्वस्त होते घर की छत पर जा चढ़े जैसे आखिरी सांस तक अपनी मिट्टी का हक़ बचाने की कोशिश हो।

Uttarakhand Elder Rescued from Crumbling Roof by JCB
ध्वस्त होते घर की छत पर चढ़े बुजुर्ग को जेसीबी से उतारा गया- फोटो : social Media

Land Encroachment Removal: सुबह-सुबह जैसे ही पहला बुलडोजर अवैध निर्माण पर चढ़ा, माहौल में ऐसी अफरा-तफरी मची कि लोग घर नहीं, जैसे अपनी किस्मतें समेटने लगे हों। बच्चों की चीखें, औरतों का बिलखना, मर्दों की बेबसी… सब कुछ हवा में घुलता हुआ एक अजीब सा बेदिली का धुआँ छोड़ रहा था।

उत्तराखंड के विकासनगर में शक्ति नहर किनारे बसे छह गाँव उस सुबह ऐसी नींद से जागे मानो किसी ने अलार्म नहीं, बल्कि बुलडोज़र की दहाड़ को वेक-अप टोन बना दिया हो। उत्तराखंड जल विद्युत निगम की जमीन पर सालों से पड़े अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन पूरा लाव-लश्कर लेकर मैदान में उतरा पुलिस बल, जेसीबी, पीएसी, राजस्व विभाग… मानो कोई मेगा ऑपरेशन क्लीन-स्वीप चल रहा हो।

लेकिन ड्रामे का असली क्लाइमैक्स तो तब आया जब काफ़िला मुस्लिम बहुल गाँव ढकरानी पहुँचा। वहाँ बुलडोज़र की दहाड़ लोगों की हुजूम के सामने खरगोश की मिमियाहट बनकर रह गई। भीड़ ने मशीनों को ऐसे घेरा कि कुछ देर के लिए पूरा सिस्टम ‘हैंग’ हो गया।करीब घंटे भर बाद पुलिस ने अपने तरीके से रीस्टार्ट किया चारों तरफ घेराबंदी, चेतावनियाँ, और फिर कार्रवाई को दोबारा चालू किया गया।

इस बीच एक बुजुर्ग अपने ध्वस्त होते घर की छत पर जा चढ़े जैसे आखिरी सांस तक अपनी मिट्टी का हक़ बचाने की कोशिश हो। पुलिस ने उन्हें जेसीबी की मदद से नीचे उतारा… वह नज़ारा देखकर लगता था कि इंसानों से ज्यादा मशीनों पर भरोसा किया जा रहा है।जैसे ही यह बाधा हटाई गई, प्रशासन ने कार्रवाई में दोगुनी तेजी डाल दी जैसे वक्त से कह रहा हो, रुकने का सवाल ही नहीं। एसपी देहात पंकज गैरोला ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कई थानों की पुलिस, पीएसी, महिला पुलिस और जल पुलिस तक तैनात है, और रोकने वालों पर कड़ी कार्रवाई तय है।

सबसे बड़ा सवाल है कि व्यवस्था सालों तक सोती रही, और जब जागी तो मशीनों के साथ, जिसे विकास नगर कहा जाता है, वहाँ इंसानों के सिर पर सबसे पहले विकास नहीं, बुलडोजर का पंजा ही क्यों उतरता है?