गजब, नकली सर्टिफिकेट बनाकर हासिल की शिक्षक की नौकरी, मौत के पांच साल बाद दर्ज कराया एफआईआर

Banka - बिहार के बांका में हैरान करनेवाला वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक मृत शिक्षक पर फर्जी सर्टिफिकेट के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। शंभूगंज प्रखंड में, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने निरंजन कुमार नाम के एक शिक्षक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिनकी मृत्यु पाँच साल पहले ही हो चुकी है। यह घटना शिक्षा विभाग और निगरानी ब्यूरो दोनों की लापरवाही को उजागर करती है और पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। शिक्षक के परिवार वाले भी इस खबर से हैरान हैं।
परिवार की आपबीती और विभाग की अनदेखी
शिक्षक के परिजनों का कहना है कि उन्होंने निरंजन कुमार की मृत्यु का प्रमाण पत्र प्रखंड बीआरसी से लेकर शिक्षा विभाग के जिला कार्यालय तक भेज दिया था। इसके बावजूद, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस तथ्य की अनदेखी करते हुए, मृत शिक्षक के खिलाफ गुरुवार को शंभूगंज थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। निरंजन कुमार कई वर्षों तक प्राथमिक विद्यालय मेहरपुर में पदस्थापित थे और उनका गाँव मिर्जापुर पंचायत का सोंडीहगांव था। इस लापरवाही ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
जालसाजी का खुलासा और कोरोना काल में मौत
निरंजन कुमार के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जाँच शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही थी, जिसमें वे लगातार बचते रहे। लेकिन, जब इस जाँच की कमान निगरानी टीम ने संभाली, तो उनके प्रमाण पत्रों में जालसाजी का पता चला। इसी बीच, साल 2020 में कोरोना काल के दौरान निरंजन कुमार की मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत के बाद भी उन पर केस दर्ज होना, शिक्षा विभाग और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की अक्षमता और कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अधिकारियों ने मामले की पूरी जानकारी लिए बिना ही कार्रवाई की है।
पुलिस की कार्रवाई और एक और मामला
थानाध्यक्ष मंटू कुमार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि निरंजन कुमार के परिवार वालों ने शुक्रवार को थाने में उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करा दिया है। इस प्रमाण पत्र के आधार पर अब आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस इस मामले की गहनता से जाँच कर रही है कि आखिर एक मृत व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर कैसे दर्ज की गई। इसी जाँच में यह भी सामने आया है कि निरंजन के साथ-साथ सोनवर्षा की शिक्षिका पल्लवी कुमारी का सर्टिफिकेट भी फर्जी पाया गया। पल्लवी प्राथमिक विद्यालय जगतापुर में कार्यरत थीं और वह साल 2018 से लापता हैं।
निगरानी ब्यूरो की कार्यशैली पर सवाल
इस घटना ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। एक व्यक्ति की मृत्यु के पाँच साल बाद भी उसके बारे में जानकारी न होना और उस पर फर्जीवाड़े का केस दर्ज करना, यह दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर डेटा अपडेट और समन्वय की भारी कमी है। ऐसी लापरवाही न केवल कानूनी प्रक्रिया को बाधित करती है, बल्कि आम नागरिकों का भी सरकारी संस्थानों पर से भरोसा उठाती है। इस पूरे मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों को दोहराया न जा सके।