Banka funeral Video: बिहार के बांका जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 100 वर्षीय बुजुर्ग महिला की शव यात्रा में डीजे बजाकर और डांस करते हुए अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना ने लोगों के बीच एक बड़ी बहस छेड़ दी है, जहां कुछ लोग इसे उत्सव की तरह मनाने का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे संवेदनहीनता मान रहे हैं।
क्या है मामला?
बांका जिले के कटोरिया थाना क्षेत्र के थेबरी गांव में 23 फरवरी को 100 वर्षीय नदिया देवी का निधन हो गया। आमतौर पर किसी के निधन के बाद परिजनों में शोक का माहौल होता है, लेकिन नदिया देवी के परिजनों ने उनकी अंतिम यात्रा को एक उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उनका मानना था कि नदिया देवी ने अपनी आयु पूरी कर एक संतुष्ट जीवन जिया और उनका इस दुनिया से जाना एक दुखद घटना नहीं है। इसी कारण, परिजनों ने उनकी शव यात्रा के दौरान डीजे बुलवाया और डांस किया।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
इस शव यात्रा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें परिजनों को डीजे पर अश्लील भोजपुरी गानों पर नाचते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो ने लोगों की भावनाओं को बंटा दिया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह एक अनोखी परंपरा है, जहां मृतक को उत्सव के रूप में विदा किया गया। वहीं, कई लोग इसे असंवेदनशील बताते हुए इसकी आलोचना कर रहे हैं।
उत्सव या संवेदनहीनता: लोगों की राय
यह घटना अब चर्चा का विषय बन गई है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोग इसे सही मानते हैं और कहते हैं कि यह परिवार का तरीका है अपनी बुजुर्ग को खुशहाल तरीके से विदा करने का। उनका तर्क है कि अगर परिवार इसे उत्सव के रूप में मनाना चाहता है, तो यह उनका निजी निर्णय है।
दूसरी ओर, कई लोग इसे एक शर्मनाक और असंवेदनशील घटना के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि किसी के निधन को लेकर ऐसा रवैया अपनाना मर्यादा और परंपराओं का उल्लंघन है। विशेषकर डीजे पर अश्लील गानों पर नाचने को लेकर लोग कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
बिहार के बदलते सामाजिक ताने-बाने का प्रतीक?
यह घटना बिहार में तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश को भी दर्शाती है। जहां एक ओर पारंपरिक अंतिम संस्कार की रस्में बहुत गंभीर और शोकाकुल होती हैं, वहीं इस तरह के आयोजन एक नए दृष्टिकोण का संकेत देते हैं। यह एक बहस का मुद्दा बन गया है कि क्या मृत्यु को शोक के रूप में ही देखना चाहिए या इसे एक उत्सव के रूप में भी मनाया जा सकता है।
कानूनी और प्रशासनिक दृष्टिकोण
हालांकि, इस मामले पर अभी तक किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि यदि किसी नियम का उल्लंघन पाया जाता है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
बांका जिले की यह घटना समाज में बदलते दृष्टिकोणों और परंपराओं पर गहरी छाप छोड़ती है। जहां एक ओर यह मृत्यु को एक उत्सव के रूप में देखने की नई सोच को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह असंवेदनशीलता और परंपराओं के उल्लंघन की बहस को भी जन्म देता है। यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में समाज इस घटना को किस प्रकार से ग्रहण करता है।