Bihar News:अलौकिक स्वप्नादेश, जब 'कैदी बम' बन देवघर चले भोलेनाथ के भक्त शंभू, जंजीरों में जकड़ी काया, आस्था की अमर गाथा!
Bihar News:जहाँ लाखों भक्तों की भीड़ भगवा ध्वज लिए, हर-हर महादेव का जयघोष करती हुई चली जा रही थी, वहीं उसी जनसैलाब में एक ऐसी आकृति भी थी, जिसे देखकर क्षण भर के लिए हर आँख ठहर गई।...

Bihar News:श्रावणी मेले का पुण्यकाल, और सुल्तानगंज-देवघर कांवरिया पथ पर श्रद्धा का एक ऐसा अद्भुत रंग दिखा, जिसने हर किसी को निस्तब्ध कर दिया। जहाँ लाखों भक्तों की भीड़ भगवा ध्वज लिए, हर-हर महादेव का जयघोष करती हुई चली जा रही थी, वहीं उसी जनसैलाब में एक ऐसी आकृति भी थी, जिसे देखकर क्षण भर के लिए हर आँख ठहर गई। हाथ, पैर, कमर और कंठ तक में लोहे की जंजीरों से जकड़ा एक शिव भक्त, कैदी के वेश में बाबा भोलेनाथ के दरबार की ओर अग्रसर था। यह दृश्य केवल विस्मयकारी नहीं, अपितु भक्ति के उस गूढ़ रहस्य का उद्घाटन कर रहा था, जहाँ आस्था और आत्मशुद्धि का संगम होता है। जैसे ही इस अनूठे "कैदी बम" की कहानी सामने आई, कांवरिया पथ पर गूँजते "बोल बम" के जयकारे और भी अधिक श्रद्धा से भर उठे।
यह विलक्षण भक्त बिहार के जहानाबाद जिले के शंभू कुमार हैं, जिनकी बाबा धाम की यात्राएँ पिछले दो दशकों से अनवरत चली आ रही हैं। किंतु इस वर्ष उनकी यात्रा ने एक नया अध्याय रच दिया है। शंभू बताते हैं कि इस श्रावण मास में स्वयं देवाधिदेव महादेव उनके स्वप्न में आए और एक आदेश दिया, "तुमसे एक गुनाह हुआ है, और तुम्हें उसका प्रायश्चित करना होगा। मेरे दरबार में इस बार एक मुजरिम बनकर आओ।" बाबा का यह स्वप्नादेश शंभू के लिए कोई साधारण सपना नहीं, अपितु ईश्वरीय आज्ञा थी, जिसे उन्होंने अक्षरशः पालन करने का निश्चय किया।
बाबा के आदेश को शिरोधार्य कर, शंभू ने स्वयं को एक कैदी के रूप में प्रस्तुत किया। जिस प्रकार किसी अपराधी को कारागार में जंजीरों से जकड़ा जाता है, उसी प्रकार उन्होंने अपने हाथ, पैर, कमर और गर्दन में भारी लोहे की जंजीरें डाल लीं। यह जकड़न उनके शरीर की थी, परंतु उनकी आत्मा भक्ति के उस अमृत में आकंठ डूबी हुई थी, जहाँ कोई बंधन नहीं होता। शंभू के मुख पर न कोई पीड़ा थी, न कोई पश्चाताप का भाव, बल्कि एक अलौकिक शांति और दृढ़ निश्चय की आभा थी। वे कहते हैं, "मैंने जो भी गलती की हो, उसका प्रायश्चित करने के लिए मैं बाबा के दरबार तक कैदी बनकर जा रहा हूँ। यह मेरी सजा नहीं, बल्कि मेरी अटूट आस्था है।" उनकी इस अनूठी भक्ति को देखकर कांवरिया पथ पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ भाव-विभोर हो उठती है और अनायास ही "बोल बम", "हर हर महादेव", "जय भोले" के नारे गूँजने लगते हैं।
सुल्तानगंज से देवघर तक का यह 100 किलोमीटर लंबा कांवरिया पथ हर वर्ष श्रद्धा के अनेकों रंग बिखेरता है। कोई नंगे पांव चलता है, कोई डीजे कांवर लेकर झूमता है, तो कोई तिरंगे से सजी कांवर उठाकर देश की सुख-समृद्धि की कामना करता है। परंतु शंभू जैसे "कैदी बम" बाबा के उन दुर्लभ भक्तों में से हैं, जो भक्ति को केवल आराधना का नहीं, अपितु आत्मशुद्धि और प्रायश्चित का भी पवित्र माध्यम मानते हैं।
चंद्रशेखर कुमार भगत कि रिपोर्ट