Bettiah News: रक्षाबंधन के दिन गलियां सुनसान, चूल्हे पड़े ठंडे, दरवाजे आधे खुले... बेतिया के गांव में छाया मातम, धराली आपदा में बादल फटने से पिता और दो बेटों की मौत
Bettiah News: उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से बेतिया में स्थित पुरुषोत्तमपुर के पिता और दो बेटों की मौत हो गई है। रक्षाबंधन का त्योहार गांव में मातम में बदला।

Bettiah News: रक्षाबंधन के दिन जब देशभर में भाई-बहन के रिश्ते का जश्न मनाया जा रहा था, उत्तराखंड की धराली आपदा ने पुरुषोत्तमपुर गांव में खुशियां छीन लीं।55 वर्षीय देवराज शर्मा और उनके बेटे अनिल कुमार (20) तथा सुशील शर्मा (18) पांच दिन से लापता थे। बादल फटने के बाद से कोई खबर नहीं मिली, और अंततः परिवार ने मान लिया कि वे अब लौटकर नहीं आएंगे। शनिवार को गांव में पुतला बनाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
लक्ष्मीना देवी का बेजोड़ दर्द
देवराज की पत्नी लक्ष्मीना देवी का दुख शब्दों में बयां करना कठिन है। रक्षाबंधन के दिन जब बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांध रही थीं, वे अपने पति और बेटों की तस्वीरें सीने से लगाए बेहोश हो रही थीं। डॉक्टर पास बैठे थे, लेकिन उनकी पीड़ा किसी दवा से कम नहीं हो सकती थी।
धराली में तबाही का मंजर
परिवार के सदस्य सुनील शर्मा ने धराली जाकर जो देखा, उससे उनकी आंखें भर आईं।उनके मुताबिक, घटना के दिन देवराज, उनके दोनों बेटे और 11 लोगों का समूह एक घर में रह रहा था। मामा श्याम शर्मा और ममेरा भाई आनंद कुमार काम से बाहर थे, बाकी 9 लोग घर के अंदर थे। अचानक पहाड़ से काले बादल उतरे, मूसलधार बारिश और मलबे ने पूरी बस्ती को बहा दिया।जो बाहर थे, उन्होंने अपनी आंखों से मकान को पलक झपकते ही पानी में समाते देखा।
गांव में पसरा सन्नाटा
पुरुषोत्तमपुर में अब त्योहार का माहौल नहीं है। गलियां सुनसान हैं, चूल्हे ठंडे पड़े हैं, दरवाजे आधे खुले हैं—मानो लापता लोग लौट आएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि अब वे सिर्फ यादों में रहेंगे, और वे भी बेहद दर्दनाक।गांव के बुजुर्ग रविन्द्र बाबा ने आंसू पोंछते हुए कहा, "राखी के दिन पहली बार देखा कि एक साथ पिता और दो बेटों की आरती उठी, यह हादसा गांव कभी नहीं भूल पाएगा।"