Bihar Crime News: बेतिया से अपहरण, गोरखपुर से बरामद, पाँच साल का मासूम आर्यन 6 घंटे में छुड़ाया गया, अपहरणकर्ता सलाखों के पीछे
Bihar Crime News: एक निजी स्कूल से पाँच साल के मासूम छात्र आर्यन का अपहरण कर लिया गया था। परिजनों में कोहराम मच गया और प्रशासन के माथे पर शिकन। लेकिन पुलिस की तेज़ कार्रवाई और हाई-प्रोफ़ाइल ऑपरेशन ने अपहरणकर्ता की चालाकी को धराशायी कर दिया।

Bihar Crime News: बिहार के बेतिया से सोमवार को हुई एक सनसनीखेज वारदात ने पूरे ज़िले को दहला दिया। लौरिया थाना क्षेत्र के एक निजी स्कूल से पाँच साल के मासूम छात्र आर्यन का अपहरण कर लिया गया था। परिजनों में कोहराम मच गया और प्रशासन के माथे पर शिकन। लेकिन पुलिस की तेज़ कार्रवाई और हाई-प्रोफ़ाइल ऑपरेशन ने अपहरणकर्ता की चालाकी को धराशायी कर दिया।
घटना सुबह उस वक़्त हुई जब एक युवक ने स्कूल के शिक्षक को फोन कर यह कह दिया कि बच्चे के पिता ने उसे बुलाया है। शिक्षक ने पिता से सीधे आकर बच्चे को ले जाने की बात कही, लेकिन तभी मौका देखकर अपराधी मासूम को अपने साथ ले उड़ा। मासूम का बैग स्कूल में ही पड़ा मिला और जब वह दोपहर 12 बजे तक घर नहीं पहुँचा तो हड़कंप मच गया। परिजनों ने स्कूल जाकर सच्चाई जानी और तुरंत पुलिस को सूचना दी।फिर शुरू हुआ पुलिस का अपराधियों के खिलाफ़ ‘ऑपरेशन आर्यन’।
एसपी डॉ. शौर्य सुमन के निर्देश पर एसडीपीओ विवेक दीप की अगुवाई में विशेष टीम का गठन किया गया। जांच में सामने आया कि जिस मोबाइल नंबर से शिक्षक को फोन किया गया था, वह नंबर महज़ दो दिन पहले ही एक्टिव हुआ था। टीम ने उसी नंबर की लोकेशन को ट्रैक किया और चौंकाने वाला सुराग मिला—अपराधी मासूम को ट्रेन से लेकर गोरखपुर निकल चुका है।
सूचना तत्काल गोरखपुर जीआरपी और एसएसपी को भेजी गई। पुलिस ने बिना वक्त गँवाए गोरखपुर स्टेशन पर जाल बिछाया और कुछ ही घंटों के भीतर मासूम आर्यन को सकुशल बरामद कर लिया। वहीं मौके से अपहरणकर्ता को भी दबोच लिया गया।
पुलिस अधिकारियों ने खुलासा किया कि अपराधी बेहद चालाकी से मासूम की पहचान छिपाने के लिए उसके कपड़े तक बदल चुका था। लेकिन पुलिस की सूझबूझ और सतर्कता ने उसकी सारी साज़िश नाकाम कर दी।
फिलहाल आरोपी से गहन पूछताछ जारी है। यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इस वारदात में और भी अपराधी शामिल थे या उसने अकेले ही इस घिनौनी साज़िश को अंजाम दिया।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर साफ़ कर दिया कि बिहार में अपराध का चेहरा चाहे जितना बदल जाए, कानून के पंजे से बच पाना नामुमकिन है। पुलिस की तत्परता से मासूम की ज़िंदगी बच गई, वरना हालात और भी भयावह हो सकते थे।