Bhagalpur News: गंगा में गिर रहे 43 नाले! सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण में लगातार देरी से बढ़ रहा कैंसर का खतरा, रिपोर्ट में खुलासा

Bhagalpur News: भागलपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण चार वर्षों से अधूरा है, जिससे गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

Bhagalpur sewage treatment
Bhagalpur sewage treatment- फोटो : freepik

भागलपुर शहर में बहने वाले 43 नाले गंगा, जमुनिया और चंपा नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। पिछले चार वर्षों से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण कार्य जारी है, लेकिन यह अब तक पूरा नहीं हो सका है। फरवरी 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, अब इसे पूरा करने की नई डेडलाइन अप्रैल 2025 तय की गई है, लेकिन इसके पूरा होने की संभावना कम ही नजर आ रही है।

गंगा किनारे रहने वालों में कैंसर का खतरा बढ़ा

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 11 मार्च 2024 को एक प्रेस रिलीज जारी की थी, जिसमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के हवाले से कहा गया कि नदी और नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।अध्ययन में गंगा, जमुनिया और चंपा नदी के किनारे रहने वाले लोगों में कैंसर का जोखिम काफी अधिक पाया गया है।यह गैर-कैंसरजन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ा रहा है, जिससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।गंगा में लगातार गिर रहे गंदे पानी और जहरीले तत्वों के कारण जल प्रदूषण चरम पर है, जिसका असर आसपास रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है।

NIHER

कैंसर के बढ़ते मामलों से बढ़ी चिंता

विशेषज्ञों के मुताबिक, गंगा किनारे बढ़ता जल प्रदूषण और दूषित जल पीने के कारण कैंसर, त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।आर्सेनिक और अन्य जहरीले पदार्थों की मात्रा बढ़ने से भागलपुर के कई इलाकों में गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव देखे जा रहे हैं।

Nsmch

89% पूरा हुआ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

भागलपुर के साहेबगंज में 45 MLD (मिलियन लीटर प्रति दिन) क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बनाया जा रहा है।इस प्रोजेक्ट की कुल स्वीकृत लागत 413.29 करोड़ रुपये थी, जिसमें से अब तक 120.95 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।अब तक 89% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन देरी के कारण लागत बढ़ती जा रही है।यह प्लांट 43 नालों को 10 पंपिंग स्टेशनों के जरिए गंगा में गिरने से रोकेगा और गंदे पानी को ट्रीट करने के बाद नदी में छोड़ेगा।

छह बार डेडलाइन फेल 

पिछले छह महीनों में निर्माण पूरा करने का टारगेट छह बार फेल हो चुका है।फरवरी 2025 की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, इसे अप्रैल 2025 तक पूरा करने की नई समय-सीमा दी गई है।संभावना है कि यह नई डेडलाइन भी पूरी नहीं हो पाएगी, जिससे गंगा प्रदूषण और बढ़ेगा।गंगा सफाई में रुकावटें: STP निर्माण की बड़ी बाधाएं

पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलने से अटका काम

बूढ़ानाथ से बरारी के बीच पांच पंपिंग स्टेशनों के निर्माण कार्य पर वन विभाग ने रोक लगा दी है।यह इलाका डॉल्फिन इको-सेंसिटिव जोन में आता है, और पर्यावरण मंजूरी के बिना काम शुरू करने के कारण यह परियोजना ठप हो गई है।पूरे शहर में 10 पंपिंग स्टेशन बनने थे, लेकिन अब केवल पांच पंपिंग स्टेशनों पर ही योजना को पूरा करने का विचार किया जा रहा है।

जल प्रदूषण बढ़ा, लेकिन समाधान अधूरा

भागलपुर में गंगा में गिरने वाले नालों के मुहाने को मोड़कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने की योजना थी।लेकिन पंपिंग स्टेशन अधूरे होने के कारण नालों का गंदा पानी अब भी सीधे गंगा में गिर रहा है।इससे गंगा नदी का जलस्तर और गुणवत्ता तेजी से बिगड़ रही है, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी खतरा है।

 कब सुधरेगी भागलपुर की स्थिति?

भागलपुर में गंगा की सफाई और नाले ट्रीटमेंट की योजना अधर में लटकी हुई है। कैंसर और अन्य बीमारियों के खतरे को देखते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का समय पर पूरा होना बेहद जरूरी है।लेकिन लगातार बदलती डेडलाइन, सरकारी सुस्ती और पर्यावरणीय अड़चनों के चलते यह योजना अब तक अधूरी बनी हुई है। यदि जल्द इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भागलपुर में जल प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता और बढ़ सकती है।