Shrawani Mela 2025 : न रास्ते भटकने का डर, न ठोकरों की चिंता....आँखों पर पट्टी बांधकर बाबाधाम चला भोलेदानी का भक्त, बेटी के स्वस्थ होने की मांगी मन्नत
Shrawani Mela 2025 : श्रावणी मेले में शिवभक्तो का अजब गजब भक्ति देखने को मिल रहे हैं. इसी कड़ी में एक भक्त आँखों पर पट्टी बांधकर बाबा नगरी की ओर चला.....पढ़िए आगे

BHAGALPUR : सावन का महीना और भोलेनाथ की भक्ति—दोनों का संगम एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है। लेकिन इस बार भागलपुर और आसपास के इलाकों से निकलने वाली कांवड़ यात्रा में एक ऐसी झलक देखने को मिली, जिसने हर किसी को हैरानी के साथ-साथ श्रद्धा से भी भर दिया। ये हैं हठयोगी शिवभक्त, जो आंखों पर काली पट्टी बांधकर, बिना कुछ देखे, सिर्फ श्रद्धा और विश्वास के सहारे बाबा बैद्यनाथ की 105 किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकल पड़े हैं। न रास्ते का डर, न ठोकरों की चिंता—सिर्फ एक ध्येय: "भोलेनाथ से मिलने जाना है, चाहे जैसे भी जाना पड़े।"
इन भक्तों में से कोई बेटी के स्वस्थ होने पर मन्नत पूरी करने निकला है, तो कोई अपनी व्यथा बाबा के चरणों में रखने चला है। इनकी आस्था कहती है "भोले बाबा अंतर्यामी हैं, उन्हें देखने की नहीं, मन की सच्चाई की ज़रूरत है।" सावन में जहां एक ओर लाखों श्रद्धालु डाक बम और दांडी बम बनकर बाबा की यात्रा करते हैं, वहीं ये हठयोगी अपनी भक्ति की अलग परिभाषा गढ़ रहे हैं। पट्टी बांधकर चलने वाले इन श्रद्धालुओं की एक झलक देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
राजेन्द्र कुमार भगत बम, जो इस यात्रा पर निकले हैं, भावुक होकर बताते हैं, "मेरी बेटी बहुत बीमार थी, मन्नत मांगी थी। बाबा ने सुन लिया। अब आंखों पर पट्टी बांधकर उनके दर्शन के लिए जा रहा हूँ।" काबड़िया बम कहते हैं, "यह सिर्फ यात्रा नहीं है, यह आत्मा और शिव के बीच की अटूट कड़ी है। आँखें बंद हैं लेकिन मन और विश्वास पूरी तरह जाग्रत है।"
भक्ति की यह अनोखी मिसाल सावन की शिवभक्ति में एक नई रोशनी लेकर आई है। इन श्रद्धालुओं ने साबित कर दिया है कि सच्ची आस्था न आँखों की मोहताज होती है, न शरीर की ताक़त की। भोलेनाथ का दरबार सच्चे दिल वालों का है — जो उन्हें बिना देखे भी देख लेते हैं।
भागलपुर से अंजनी कश्यप की रिपोर्ट