Seedless Mango : अब नहीं कह सकेंगे 'आम के आम और गुठली के दाम', बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने बनाया सीडलैस मैंगों

Seedless Mango : अब नहीं कह सकेंगे 'आम के आम और गुठली के दाम

BHAGALPUR : 1951 में पहली बार सबौर कृषि कॉलेज द्वारा "महमूद बहार" और "प्रभाशंकर" नाम के आम की वेरायटी रिलीज की गई थी। अब यानी 2025 तक तकरीबन 254 वेरायटी का आम बिहार कृषि विश्वविद्यालय के बाग़ान में है। बिहार के भागलपुरी जर्दालु आम को भारत सरकार ने जीआई टैग से नवाजा भी है। नए सिरे से बीएयू द्वारा 12 वेरायटी के नए आम को जेआई टैग के लिए भारत सरकार के पास भेजा गया है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के कुलपति डॉ डी आर सिंह ने बताया कि फिलहाल 30 की संख्या में नए आम की वेरायटी, रिलीज करने वाली फ्रूट रिसर्च टीम के जिम्मे है आम की वैसी वेरायटी भी तैयारी की जा रही जिससे दिसंबर तक आम का फलन हो सकेगा साल दर साल आम का फल देने वाले  पेड़ भी तैयार किये जा रहे हैं। जिससे 2000 से ज्यादा आम का फलन होगा। बीएयू के कुलपति ने कहा कि " सिंधु " नाम के आम की एक वैसी वेरायटी तैयार की गई है, जिसे "सीड लेस मैंगों" भी कह सकते हैं। 

कहा की समाज में जो एक कहावत है कि  आम के आम और गुठली के दाम" को भी झुठलाने वाली बात भी होगी। उस तरह के पौधे भी तैयार किये जा रहे हैं। चूंकि बिहार आम के उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे नंबर पर है।  9.5 टन प्रति हेक्टेयर आम का उत्पादन बिहार में होता है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर आम का उत्पादन 8.8 टन प्रति हेक्टेयर है।

भागलपुर से बालमुकुन्द की रिपोर्ट