Bihar Land Survey: भू अर्जन विभाग में रिश्वतखोरी का खेल, NOC के लिए वृद्ध किसान से मोटी रकम की मांग
Bihar Land Survey: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ भले ही सरकार बड़े-बड़े दावे करते हों, लेकिन ज़मीनी हकीकत अब भी बेहद कड़वी है। कथित तौर पर विभाग के कर्मी बिना "चढ़ावे" के एनओसी जारी नहीं कर रहे।

Bihar Land Survey:बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के दावों के विपरीत, जमीनी स्तर पर स्थिति अत्यंत निराशाजनक बनी हुई है। ताजा मामला भागलपुर जिले के सुल्तानगंज अंचल के महेशी पंचायत से सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग किसान अपनी शेष जमीन के लिए भू अर्जन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने के लिए महीनों से भटक रहा है। आरोप है कि विभाग के कर्मचारी बिना "चढ़ावे" के एनओसी जारी करने को तैयार नहीं हैं।
पीड़ित उमाकांत चौधरी और उनके भाई रामानंद चौधरी को उनके पिता द्वारा 1977 में मौखिक रूप से जमीन का बंटवारा किया गया था। इस जमीन पर उमाकांत चौधरी का घर बना हुआ है। बाद में, सरकार ने सड़क निर्माण के लिए उनकी 8.5 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण कर मुआवजा प्रदान कर दिया। मुआवजा मिलने के पश्चात बची हुई 6.5 डिसमिल जमीन को उमाकांत अपनी बहू को दान देना चाहते थे, लेकिन रजिस्ट्री के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता हुई।
भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप
पीड़ित का आरोप है कि भू अर्जन कार्यालय में कार्यरत क्लर्क दीपक कुमार ने एनओसी जारी करने के एवज में मोटी रकम की मांग की है। उनका कहना है कि जो लोग रिश्वत देते हैं, उनकी रिपोर्ट तुरंत भेज दी जाती है, जबकि पैसे न देने वालों की फाइलों को 'विवाद' का बहाना बनाकर रोक दिया जाता है।
प्रशासन की उदासीनता
पीड़ित ने जब उच्च अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया, तो या तो वे कार्यालय में अनुपस्थित मिले, या उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा। कार्यालय का आलम यह है कि कर्मचारी चाय की दुकानों पर घूमते हुए दिखाई देते हैं और पूछताछ करने पर अस्पष्ट जवाब देते हैं। भू अर्जन विभाग के अमीन ने जमीन पर 'विवाद' का बहाना बनाकर नापी करने से इनकार कर दिया, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि यदि विवाद था तो मुआवजा किस आधार पर दिया गया, तो वे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।वरिष्ठ उप समाहर्ता दिनेश राम ने भी इस मामले से किनारा करते हुए कहा कि "जिलाधिकारी का आदेश मिलने पर ही कार्रवाई की जाएगी।" यह आश्चर्यजनक है कि प्रशासन सोशल मीडिया पर बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन वास्तविकता में जनता के सवालों से बचता है।
जमीन से जुड़ा अहम सवाल
जिस जमीन पर पक्के मकान बने हुए हैं, उसी जमीन पर 'विवाद' बताकर एनओसी रोका जा रहा है। यह एक बड़ा सवाल है कि जब मुआवजा दिया गया, तो अब उसी खाता-खेसरा पर विवाद कैसे उत्पन्न हो गया?
न्याय की आस में वृद्ध किसान
एक वृद्ध किसान अपने हक के लिए महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था ने उनके जैसे आम नागरिकों को असहाय बना दिया है।
रिपोर्ट- बालमुकुंद शर्मा