Bihar Land Survey: भू-अर्जन विभाग में भ्रष्टाचार की बाढ़! 75 वर्षीय वृद्ध से अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए रिश्वत की मांग, खुला खेल फर्रुखाबादी
Bihar Land Survey: बिहार में भू-अर्जन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है! सरकार की ऑनलाइन सेवाओं और डिजिटल सुधारों के दावों के बावजूद, जमीन से जुड़े मामलों में रिश्वतखोरी और गड़बड़ी आम बात बनी हुई है।

Bihar Land Survey: बिहार सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और विजिलेंस की कड़ी कार्रवाई के बावजूद, भागलपुर के भू-अर्जन विभाग में भ्रष्टाचार की गंगा बेरोकटोक बह रही है। एक 75 वर्षीय वृद्ध की मार्मिक कहानी ने सरकारी तंत्र की पोल खोल दी है, जहां अपनी ही जमीन का अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के लिए उन्हें महीनों तक कार्यालय के चक्कर काटने पड़े। रिश्वत न देने की सजा में उन्हें अपमान और झूठे जांच रिपोर्ट का सामना करना पड़ा। अब यह मामला स्पेशल विजिलेंस यूनिट और मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंचने की तैयारी में है।
रिश्वत न देने की सजा
75 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी जमीन (खाता संख्या 573, खसरा 322) का अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए भू-अर्जन विभाग, भागलपुर में आवेदन दिया था। इस जमीन पर उनका मकान बना हुआ है और यह उनके पूर्ण अधिकार में है। लेकिन विभाग के कर्मचारियों, विशेष रूप से अमीन तरुण कुमार और दीपक कुमार, ने कथित तौर पर रिश्वत की मांग की। वृद्ध के पास "नजराना" न होने के कारण, उनका आवेदन ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। महीनों तक चक्कर काटने और अपमान सहने के बाद, जब मामला मीडिया और वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आया, तो विभाग ने बचाव में एक झूठा जांच रिपोर्ट अवर निबंधक कार्यालय को भेज दिया।
इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि उक्त जमीन विवादित है, इसलिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। लेकिन वृद्ध ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "अगर जमीन विवादित है, तो विभाग को यह बताना चाहिए कि कोर्ट या थाने में कौन सा वाद लंबित है। इसके अलावा, अगर जमीन विवादित थी, तो मुझे मुआवजा राशि क्यों दी गई? यह राशि मेरे खाते में जमा है।"
विभाग का दोहरा खेल: 3 डिसमिल जमीन का रहस्य
वृद्ध ने विभाग के भ्रष्टाचार को और उजागर करते हुए बताया कि उनकी उक्त जमीन का कुल हिस्सा मात्र 6 डिसमिल है। लेकिन विभाग ने एक व्यक्ति को 3 डिसमिल और दूसरे को 6 डिसमिल जमीन का अनापत्ति प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिया? सवाल यह है कि भू-अर्जन विभाग ने अतिरिक्त 3 डिसमिल जमीन कहां से लाई? यह स्पष्ट करता है कि विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है, जिसमें रिश्वत के बदले अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं।
अमीन तरुण कुमार का विवादों से पुराना नाता
आरोपों के केंद्र में मौजूद अमीन तरुण कुमार का नाम इससे पहले भी भ्रष्टाचार के मामलों में सामने आ चुका है। गोपालपुर अंचल में नापी के नाम पर किसानों से मोटी रकम वसूलने का मामला सुर्खियों में रहा था। उस समय अनुमंडल पदाधिकारी ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच के आदेश दिए थे और तरुण कुमार को हिदायत दी गई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार की आदत से वे बाज नहीं आए और अब भागलपुर में वृद्ध के साथ अन्याय का नया मामला सामने आया है।
विजिलेंस जांच और मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारी
वृद्ध ने इस पूरे मामले की शिकायत स्पेशल विजिलेंस यूनिट को दी है, जिसमें दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों की संपत्ति की जांच की मांग की गई है। उनका कहना है कि रिश्वतखोरी में लिप्त कर्मचारियों ने अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित की होगी, जिसकी जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही, 13 मई 2025 को भागलपुर में मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान वृद्ध व्यक्तिगत रूप से आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
वृद्ध का दर्द: "मेरा मकान, मेरी जमीन, फिर विवाद कहां?"
वृद्ध ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने जिस जमीन का अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा, उस पर मेरा मकान बना है और वह मेरे कब्जे में है। अगर कोई विवाद है, तो विभाग को बताना चाहिए कि कोर्ट या थाने में कौन सा मामला दर्ज है। मुझे आज तक कोई जानकारी नहीं दी गई।" उनकी यह बात सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करती है।
बिहार में भ्रष्टाचार का अड्डा बना भू-अर्जन विभाग
भागलपुर का यह मामला बिहार में भू-अर्जन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का केवल एक उदाहरण है। सरकार की ऑनलाइन सेवाओं और डिजिटल सुधारों के दावों के बावजूद, जमीन से जुड़े मामलों में रिश्वतखोरी और गड़बड़ी आम बात बनी हुई है। बिहार भूमि पोर्टल(biharbhumi.bihar.gov.in) जैसी सुविधाओं के बावजूद, आम नागरिकों को कार्यालयों के चक्कर काटने और रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
रिपोर्ट- बालमुकुंद शर्मा