'सहीये म तोरो पैर टुटलो छौँ की सम्मेलन करी रहलो छो?' मंच से गिरकर सांसद के फ्रैक्टर पैर पर विधायक गोपाल मंडल ने उड़ाया मजाक
bhagalpur news - सीएम नीतीश कुमार के मंच से गिरकर अपना पैर फ्रैक्चर करानेवाले सांसद अजय मंडल को लेकर विधायक मजाकिया बयान दिया है। जिसके वायरल होने के बाद विवाद बढ़ गया है।

Bhagalpur – मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भागलपुर आगमन पर आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम उस वक्त अप्रत्याशित घटनाक्रम का गवाह बना, जब लोकसभा सांसद अजय मंडल कार्यक्रम स्थल सैंडिस कंपाउंड स्थित इंडोर स्टेडियम में मंच की ओर बढ़ते समय अचानक गिर पड़े. हादसे में उन्हें गंभीर चोटें आईं और उन्हें तत्काल मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि इस दुर्घटना से अधिक सुर्खियां बटोरने वाला पल वह था, जब गोपालपुर के जदयू विधायक गोपाल मंडल अस्पताल में अजय मंडल से मुलाकात के दौरान व्यंग्यात्मक लहजे में बोले - "सहीये म तोरो पैर टुटलो छौँ की सम्मेलन करी रहलो छो?" (सच में तुम्हारा पैर टूटा है या सभा कर रहे हो?)
यह कथन, भले ही अंगिका में हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा गया हो, लेकिन समय और परिस्थिति की नज़ाकत को देखते हुए यह सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में बहस का विषय बन गया है. सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होते ही लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं. एक ओर जहां कुछ लोगों ने इसे विधायक की सहज शैली करार दिया, वहीं बड़ी संख्या में लोगों ने इसे "घायल जनप्रतिनिधि के प्रति असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा" बताया.
विरोधियों ने गोपाल मंडल पर हमला बोलते हुए कहा कि "एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह गंभीर स्थिति में भी हास्य का सहारा लें. यह कोई पहली बार नहीं है जब गोपाल मंडल अपने बयानों और अंदाज को लेकर विवादों में आए हैं. पूर्व में भी उनके कई बयान और व्यवहार सार्वजनिक मंचों पर चर्चा और आलोचना का विषय बने हैं. इस बीच मौके पर मौजूद बीमा भारती ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया, और माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की.
वहीं, वीडियो में यह भी देखा गया कि कार्यक्रम शुरू होने से पहले अजय मंडल अपने चिरपरिचित अंदाज़ में लस्सी पीने की बात कर लोगों को हंसा रहे थे. फिलहाल, अजय मंडल की स्थिति स्थिर बताई जा रही है और डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज जारी है. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — क्या हमारे जनप्रतिनिधि सार्वजनिक व्यवहार की मर्यादा और भाषा की गरिमा को लेकर सचेत हैं? क्या हास्य और व्यंग्य के बीच की रेखा उन्हें दिखती है, खासकर तब, जब सामने कोई घायल और पीड़ित हो?
देश को दिशा देने वाले नेताओं से समाज एक अनुकरणीय आचरण की अपेक्षा करता है. ऐसी घटनाएं न केवल व्यक्ति विशेष की छवि पर असर डालती हैं, बल्कि राजनीति की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करती हैं।
रिपोर्ट - अंजनी कुमार कश्यप