PATNA - भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा), बिहार में जल्द ही वैसे सर्टीफिकेट अधिकारी अधिसूचित किए जाएंगे, जो बिहार और उड़ीसा पब्लिक डिमांड रिकवरी (पीडीआर) अधिनियम, 1914 से संबंधित मामलों की सुनवाई कर उनका निष्पादन करेंगे। ये अधुसुचित अधिकारी सिर्फ रेरा बिहार से सबंधित मामलों का निष्पादन करेंगे.
इस अधिनियम के प्रावधान उन प्रमोटरों से बकाया राशि की वसूली में मदद करते हैं, जो इस संबंध में प्राधिकरण द्वारा पारित आदेशों का पालन करने में विफल रहे हैं। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार द्वारा रेरा बिहार को एक पत्र भेजा गया है, जो प्राधिकरण द्वारा पीडीआर मामलों की सुनवाई के लिए अपने अधिकारी को अधुसुचित करने की अनुमति देने के अनुरोध के जवाब में जारी किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि रेरा बिहार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर कानूनी सलाह लेने के लिए संबंधित फाइल विधि विभाग को भेजी गई थी जिस पर महाधिवक्ता ने अपनी राय दी थी, जिसमें उन्होंने प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पत्र के में कहा गया है, "इस मामले में विद्वान महाधिवक्ता द्वारा दी गई राय के आलोक में, पत्र को आगे की कार्रवाई के लिए भेजा जा रहा है।"
अब तक प्राधिकरण ने पीडीआर अधिनियम के तहत 942 मामले जिला प्रशासन को भेजे हैं, जिनमें से 932 पटना, 4 भोजपुर, 3 वैशाली और एक-एक दरभंगा, पूर्वी चंपारण और पूर्णिया जिले को भेजे गए हैं। भेजे गए मामलों में से दो का निपटारा पटना जिला प्रशासन ने कर दिया है । पीडीआर अधिनियम के तहत मामला तब भेजा जाता है, जब प्राधिकरण द्वारा शिकायत मामले और एक्सक्यूसन मामले के निपटारे के बाद भी प्रमोटर ग्राहकों के बकाए का भुगतान करने में विफल रहता है।
इस प्रगति पर टिप्पणी करते हुए रेरा बिहार के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह ने मंगलवार को कहा: “ वैसे सर्टीफिकेट अधिकारियों की उपलब्धता जो सिर्फ रेरा सम्बंधित पीडीआर मामलों की सुनवाई करेंगे, ऐसे मामलों के त्वरित निष्पादन में सहायक होंगे जिससे की उन घर खरीदने वालों के फायदा होगा जो प्रमोटरों द्वारा समय पर परियोजनाओं को पूरा करने में विफल रहने के कारण अपनी राशि वापस चाहते हैं।” अध्यक्ष ने यह भी बताया कि प्राधिकरण आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सर्टीफिकेट अधिकारीकेरूपमें नियुक्ति होगी