Goswami Tulsidas Jayanti 2025: बिहार के इस जिले में है गोस्वामी तुलसीदास की 4 एकड़ जमीन! जयंती पर जानिए रामचरितमानस के रचयिता का विशेष नाता
Goswami Tulsidas Jayanti 2025: बिहार में गोस्वामी तुलसीदास की 4 एकड़ जमीन है। राज्य के इस जिले से रामचरितमानस के रचयिता का विशेष नाता रहा है...आइए तुलसीदास जी की जयंती पर जानते हैं ये पूरी खबर

Goswami Tulsidas Jayanti 2025: श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की आज यानी श्रावण सप्तमी के दिन जयंती है। देशभर में उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। तुलसीदास को सभी बड़े नेताओं के द्वारा नमन किया है। वहीं तुलसीदास के जयंती के दिन उनका बिहार के बक्सर से नाता सामने आया है। बक्सर के एक गांव में तुलसीदास के नाम पर 4 एकड़ की जमीन है। माना जाता है कि यहीं रहकर उन्होंने रामचरितमानस के उत्तर कांड की रचना की थी।
बक्सर से तुलसीदास का नाता
दरअसल, बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित शाहाबाद गजेटियर के पृष्ठ संख्या 669 में तुलसीदास को रघुनाथपुर का निवासी बताया गया है। इस ऐतिहासिक दस्तावेज के अनुसार, गांव में उनके नाम पर 4 एकड़ 63 डिसमिल जमीन अब भी दर्ज है जो इस क्षेत्र से उनके गहरे संबंध को प्रमाणित करती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, तुलसीदास ने रघुनाथपुर में रहकर रामचरितमानस के उत्तर कांड की रचना की थी।
इस कारण गांव का नाम पड़ा रघुनाथपुर
उस समय यह गांव 'बेला पतवत' नाम से जाना जाता था। जहां वृक्षों और प्राकृतिक वातावरण की भरमार थी। गांव के दक्षिण में स्थित एक छोटे से राम मंदिर के कारण इसका नाम 'रघुनाथपुर' पड़ गया। ग्रामीणों की मानें तो गोस्वामीजी बोधि वृक्ष के नीचे साधना करते थे और आसपास के लोगों को रामकथा सुनाते थे। यही स्थान अब तुलसी आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है। जहां उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित है।
ताजा मालगुजारी रसीद जारी
हाल के वर्षों में आश्रम परिसर में महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण के बाद यहां धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। जानकारी अनुसार 1910 के पुराने सर्वे और 1970 के नए सर्वे खतियान में तुलसीदास के नाम पर उक्त भूमि दर्ज है। बुधवार को उसी जमीन की ताजा मालगुजारी रसीद भी जारी की गई। जिसमें अभिभावक के रूप में पुजारी राम कृपा दास का नाम अंकित किया गया है। यह रसीद भूमि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अभिलेख के आधार पर जारी की गई है जो ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में कार्य कर रही है।
शिष्य को मिली थी जमीन
तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर विभिन्न मत हैं। लेखक द्वारकाधीश प्रसाद की पुस्तक "गोस्वामी तुलसीदास जीवन दर्शन" में दावा किया गया है कि उनका जन्म भोजपुर जिले के राजपुर गांव में विक्रम संवत 1589 में हुआ था और मृत्यु 1680 में काशी में। यह गांव रघुनाथपुर से महज दो किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। पुस्तक में यह भी उल्लेख है कि उस गांव में भी गोस्वामीजी के नाम पर चार बीघा जमीन थी, जो उनकी मृत्यु के बाद उनके शिष्य बनवारी दास को मिली थी। मुगल आक्रमण के बाद गांव उजड़ गया और परिवार को पलायन करना पड़ा।