Bihar News: सुधाकर सिंह ने सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पर लगाया गंभीर आरोप, VC ने कर दिया कांड, खुलासे से मचा हड़कंप
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Bihar News: बिहार की शिक्षा और शोध व्यवस्था एक बार फिर विवादों में है। बक्सर से राजद सांसद सुधाकर कुमार सिंह ने भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह पर नियुक्ति, वित्तीय गड़बड़ियों और भाई-भतीजावाद से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। सांसद ने प्रेस विज्ञप्ति और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि कृषि विभाग द्वारा पहले ही दो बार जांच समिति गठित की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद कुलपति ने सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना की है।
लगाए गए प्रमुख आरोप
विभागीय रोक के बावजूद पुत्री अमिता सिंह को बिज़नेस मैनेजर, रिश्तेदार दिव्यांशु सिंह को सहायक कुलसचिव और करीबी संजीव रमन को निदेशक (कार्य एवं संयंत्र) बनाया गया। अयोग्य अभ्यर्थियों को प्रशाखा पदाधिकारी नियुक्त किया गया, जबकि निदेशक (कृषि एवं संयंत्र) और सहायक कुलसचिव की नियुक्ति पहले ही रोक दी गई थी। मानव बल आपूर्ति की निविदा में गड़बड़ी कर कुलपति के पुत्र आदर्श कुमार सिंह की कंपनी Lion Force Solution Pvt. Ltd. को टेंडर दिया गया।
इनके जरिए किया कांड
जेल भेजे गए और फिलहाल जमानत पर चल रहे अधिकारी एम.के. वाधवानी और अमित कुमार के जरिए लगभग 300 वैज्ञानिकों की नियुक्तियाँ करवाई गईं। विश्वविद्यालय में “पेड सीट” व्यवस्था लागू कर मेधावी छात्रों को वंचित किया गया। सरकार की रोक के बावजूद BOM (बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट) की बैठक बुलाकर मनमाने प्रोन्नति और नियुक्ति संबंधी फैसले लिए गए।
कुलपति पर गंभीर आरोप
कुलपति और उनके भतीजे डॉ. अनिल कुमार सिंह ने एक साल में 15 से अधिक पेटेंट अपने नाम दर्ज कराए, जिनमें अन्य वैज्ञानिकों के शोध और विश्वविद्यालय की राशि का इस्तेमाल किया गया। सांसद का यह भी दावा है कि डॉ. सिंह के खिलाफ पूर्व में चंद्रशेखर आज़ाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर में भी SIT जांच हुई थी, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया और उस पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया गया।
साख पर सवाल
सुधाकर सिंह ने कहा कि इन सभी घटनाओं ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय की साख को गहरी चोट पहुंचाई है। उनके अनुसार, शिक्षा और शोध जैसे पवित्र क्षेत्र में भ्रष्टाचार और पक्षपात की इन घटनाओं ने पूरे तंत्र को कलंकित कर दिया है। उन्होंने मांग की कि सभी मामलों की उच्चस्तरीय जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि विश्वविद्यालय की गरिमा और छात्रों-शिक्षकों का विश्वास बहाल हो सके।