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Death Threat to RJD MLA: 'तुम्हारी जान जाएगी,अगर नहीं आए'..तेजस्वी के खास विधायक को जान से मारने की धमकी..भागते हुए पहुंचे कोतवाली थाना..

मोरवा विधानसभा क्षेत्र के आरजेडी विधायक और पार्टी के प्रदेश प्रधान सचिव रणविजय साहू ने बताया कि उन्हें 19 नवंबर की रात 9:39 बजे एक अनजान नंबर (8873318063) से फोन आया।

Death Threat to RJD MLA: 'तुम्हारी जान जाएगी,अगर नहीं आए'..तेजस्वी के खास विधायक को जान से मारने की धमकी..भागते हुए पहुंचे कोतवाली थाना..
तेजस्वी के खास विधायक को जान से मारने की धमकी- फोटो : social media

MLA Ranvijay Sahu Received Death Threat: बिहार में एनडीए सरकार के कानून-व्यवस्था के दावों के बावजूद एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधायक रणविजय साहू ने आरोप लगाया है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई, लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है।

क्या है पूरा मामला?

मोरवा विधानसभा क्षेत्र के आरजेडी विधायक और पार्टी के प्रदेश प्रधान सचिव रणविजय साहू ने बताया कि उन्हें 19 नवंबर की रात 9:39 बजे एक अनजान नंबर (8873318063) से फोन आया। विधायक ने कॉल का तुरंत जवाब नहीं दिया क्योंकि वह दूसरे फोन पर व्यस्त थे। जब उन्होंने एक मिनट बाद कॉल बैक किया, तो कॉलर ने उन्हें गालियां देनी शुरू कर दी। पहचान बताने पर भी कॉलर ने गाली-गलौज जारी रखी और उन्हें धमकी दी कि अगर वह किसी खास स्थान पर नहीं पहुंचे तो उन्हें इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।

विधायक का आरोप

रणविजय साहू ने कहा कि धमकी मिलने के तुरंत बाद उन्होंने पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा को फोन पर घटना की जानकारी दी और ईमेल के जरिए आवेदन भी भेजा। बावजूद इसके, तीन दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। अपराधियों को पकड़ने के बजाय, पुलिस अब तक जांच में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है। अंततः, विधायक को मजबूर होकर 22 नवंबर को पटना के कोतवाली थाना में लिखित आवेदन देना पड़ा।

पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल

विधायक ने अपने आवेदन में पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि पुलिस तीन दिनों में अपराधी का पता लगाने में विफल रही है। यह मामला "कानून के राज" के दावों को झुठलाता है। उन्होंने एफआईआर दर्ज कर अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की।

एनडीए सरकार के लिए सवाल

इस घटना ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति और प्रशासन की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एनडीए सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बार-बार "कानून का राज" होने के दावों पर यह मामला पानी फेरता दिख रहा है। विपक्षी दल आरजेडी ने इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना की है और इसे "कानून-व्यवस्था की विफलता" करार दिया है।

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