PATNA - फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे सहायक प्रोफेसर की नौकरी हासिल करने की कोशिश में एक अभ्यर्थी को लेने के देने पड़ गए हैं। जांच के दौरान बिहार विश्वविद्यालय आयोग में अभ्यर्थी के सारे दस्तावेज फर्जी पाए गए। जिसके बाद अब आयोग ने अभ्यर्थी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए पटना कोतवाली को आवेदन दिया गया है।
यह पूरा मामला चार साल पहले बिहार राज्य विश्वविद्यालय आयोग द्वारा जारी विज्ञापन AP-PHYS-20/20-21 से जुड़ा है। विज्ञापन के जरिए भौतिकी विषय के सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे। विज्ञापन के आधार पर दरभंगा के सकतपुर थाना क्षेत्र के बथई ग्राम निवासी असफी यादव के बेटे डा. गौरी शंकर यादव ने भी आवेदन दिया।
आवेदन के आधार पर 24 सितंबर को गौरी शंकर को पटना में आयोग के सामने इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। लेकिन जब उसके डॉक्यूमेंट की जांच की गई तो उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्र को संदेहास्पद पाया गया। जिसके कारण डाक्यूमेंट का वेरिफिकेशन कराने का निर्णय लिया गया।
LNMU ने सर्टिफिकेट को बताया गलत
आयोग ने सर्टिफिकेट की जांच के लिए दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पास भेजा। विश्विविद्यालय ने जांच के बाद साफ कर दिया कि डा. गौरीशंकर यादव के शैक्षणिक अनुभव प्रमाण पत्र पूरी तरह से फेक है।
विवि से रिपोर्ट सामने आने के बाद अब आयोग ने सहायक प्रोफेसर अभ्यर्थी के खिलाफ सरकार को गुमराह करने और काम में बाधा पहुंचाने को लेकर कोतवाली पटना में आवेदन दिया है और अभ्यर्थी पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा है।