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ट्रेनिंग नहीं तो शिक्षकों को नहीं मिलेगा प्रमोशन, शिक्षा मंत्रालय ने अधिकारियों को दिए निर्देश

अब राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए विशेष प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। यह प्रशिक्षण न केवल नए शिक्षकों के लिए बल्कि पहले से कार्यरत शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य होगा।

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teacher- फोटो : teacher

बिहार के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों के लिए अब विशेष प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए हैं। बात अगर बिहार की कि जाए तो यहां आधे से अधिक शिक्षक नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत हुए बदलावों से अब तक परिचित ही नहीं हैं। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, केवल 3,280 सहायक प्राध्यापक ही आवश्यक ट्रेनिंग ले पाए हैं, जबकि 3,500 से अधिक अभी भी प्रशिक्षण से वंचित हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि नव नियुक्त सहायक प्राध्यापकों को इंडक्शन ट्रेनिंग देना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।


ट्रेनिंग की अनदेखी रोक सकती है प्रमोशन!

नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों के लिए चार प्रकार के प्रशिक्षण अनिवार्य किए गए हैं, जिनमें  नई शिक्षा नीति पर आधारित आठ दिन का ऑरिएंटेशन प्रोग्राम, छह दिन का शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्स, 24 दिन का फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम और 12 दिन का रिफ्रेशर कोर्स शामिल है। विशेष रूप से रिफ्रेशर कोर्स शिक्षकों के प्रमोशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कोर्स पूरा किए बिना सहायक प्राध्यापक को एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति नहीं दी जाएगी।


बिहार में ट्रेनिंग को लेकर ढिलाई!

बिहार में लंबे समय से उच्च शिक्षा के तहत ट्रेनिंग को गंभीरता से नहीं लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि सैकड़ों शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक कोई भी प्रशिक्षण नहीं लिया। यह स्थिति न केवल शिक्षकों के व्यक्तिगत विकास बल्कि छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए भी चुनौती है।


केंद्र का सख्त रुख, ट्रेनिंग जल्द शुरू करने के निर्देश

शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार को हिदायत दी है कि शिक्षकों के लिए नियमित ट्रेनिंग कार्यक्रम जल्द शुरू किए जाएं। यह कदम नई शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए बेहद जरूरी है। शिक्षकों को बदलते शिक्षा तंत्र और नई नीति के अनुरूप तैयार करने के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस दिशा में कितनी तेजी से कदम उठाती है।

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