रेल फाटक बंद होने से एंबुलेंस फंसा, परिजन गेटमैन से करते रहे मिन्नत, देर होने से मरीज की मौत

रेल फाटक बंद होने से एंबुलेंस फंसा, परिजन गेटमैन से करते रहे

Chhapra - रेलवे का फाटक बंद होने के कारण गंभीर मरीज को लेकर जा रहा एंबुलेंस ट्रैक पार नहीं कर सका। इस दौरान मरीज की हालत को देखते हुए परिजनों ने गेटमैन से फाटक खोलने की गुजारिश की। लेकिन  ड्यूटी के कारण गेटमैन ने उनकी बात को नहीं मानने के लिए मजबूर नजर आया, नतीजा यह हुआ कि समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण मरीज की मौत हो गई। 

यह हृदय विदारक घटना बिहार के छपरा जिले की है। जहां छपरा शहरा के जगदम कॉलेज रेलवे ढाला के पास सीने में दर्द की शिकायत के बाद उत्तरी दहियावां टोला निवासी जगरनाथ मांझी के पुत्र संतोष मांझी को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस पहुंची। लेकिन इसी समय  एक ट्रेन के आने की सूचना मिलने के कारण ढाला बंद मिला। 

मरीज की हालत देखते हुए परिजनों ने उन्होंने वहां तैनात गेटमैन से मिन्नतें की वह फाटक खोल दें, ताकि मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके। लेकिन, गेटमैन ने तकनीकी दिक्कतों का हवाला देते हुए ढ़ाला खोलने में असमर्थता जताई।

फाटक के नीचे से ले गए मरीज, लेकिन

स्वजन संतोष को काफी मशक्कत के बाद ढ़ाला के अवरोधक के नीचे से निकालकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डाक्टरों ने जांच के बाद संतोष को मृत घोषित कर दिया।  मृतक के स्वजनों ने इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि यदि समय रहते रेलवे ढ़ाला खुल जाता, तो शायद संतोष की जान बच सकती थी। 

क्या आपात स्थिति में फाटक बंद रखना सही फैसला

इस घटना ने रेलवे फाटकों पर आपातकालीन स्थिति में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वह भी तब यह एंबुलेंस को पास करने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के काफिले को भी रोक दिया जाता है।

आरओबी का हो रहा निर्माण

इस तरह की घटनाओं का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए रेलवे ने सभी रेल फाटकों पर अब आरओबी बनाने का फैसला लिया है। राज्य सरकार और रेलवे के संयुक्त प्रयास से जगदम कालेज रेलवे ढ़ाला के समीप एक आरओबी निर्माण की शुरुआत हुई है।