Bihar Politics: PK का सियासी विस्फोट, नीतीश को बताया 'मानसिक रूप से अस्वस्थ', PM मोदी पर लगाया 'मजदूरों का प्रदेश' बनाने का आरोप
Bihar Politics: PK ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए उन्हें बिहार का नेतृत्व करने के लिए अयोग्य बताया, वहीं प्रधानमंत्री मोदी पर बिहार को जानबूझकर मजदूरों का प्रदेश बनाए रखने का आरोप लगाया।

Bihar Politics: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने सारण में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला। किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए उन्हें बिहार का नेतृत्व करने के लिए अयोग्य बताया, वहीं प्रधानमंत्री मोदी पर बिहार को जानबूझकर मजदूरों का प्रदेश बनाए रखने का आरोप लगाया।
नीतीश कुमार पर मानसिक स्वास्थ्य का आरोप और मानहानि की चुनौती
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार "गंभीर मानसिक बीमारी" से जूझ रहे हैं। उन्होंने मुजफ्फरपुर में हुई "निर्भया कांड से भी भयावह घटना" का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी घटना पर भी मुख्यमंत्री की ओर से कोई बयान न आना उनकी मानसिक अस्वस्थता का प्रमाण है। किशोर ने पिछले कई महीनों से अपनी इस बात को दोहराते हुए कहा कि नीतीश कुमार की शारीरिक और मानसिक स्थिति बिहार का नेतृत्व करने लायक नहीं है।
प्रशांत किशोर ने आगे बढ़कर नीतीश कुमार को चुनौती दी कि यदि वे मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो उन पर मानहानि का मुकदमा करें और कोर्ट में यह साबित करें कि वे मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। यह आरोप-प्रत्यारोप बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
पीएम मोदी पर 'मजदूरों का प्रदेश' बनाने का आरोप
प्रशांत किशोर ने बिहार में व्यापक पलायन की समस्या पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार को "जानबूझकर मजदूरों का प्रदेश बना कर रखा गया है," ताकि यहां से मजदूर गुजरात की फैक्ट्रियों में जाकर कम मजदूरी पर काम कर सकें।
किशोर ने पीएम मोदी से सीधे सवाल किया कि उनके पिछले 11 साल के कार्यकाल में बिहार में एक भी नई फैक्ट्री क्यों नहीं लगी। उन्होंने इस विडंबना पर भी ध्यान दिलाया कि बिहार से दूर स्थित कश्मीर, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में बिहार के बच्चे मजदूरी कर रहे हैं, जबकि पंजाब या हिमाचल प्रदेश के लोग कश्मीर में मजदूर के तौर पर काम नहीं करते।
प्रशांत किशोर ने तर्क दिया कि तमिलनाडु की फैक्ट्रियों में स्थानीय मजदूर 25 हजार रुपये की मांग करते हैं, जबकि बिहार के मजदूर 12-15 हजार रुपये में काम करने को तैयार हो जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि "इससे साफ है कि नेताओं ने जानबूझकर बिहार को मजदूरों का राज्य बना दिया है ताकि लेबर बाजार में मजदूरों की दरें कम रहें।" यह बयान बिहार की औद्योगिक स्थिति और पलायन के गहरे राजनीतिक निहितार्थों पर सवाल उठाता है।
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ सकती है, जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री की क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के आर्थिक पिछड़ेपन के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भी कठघरे में खड़ा किया गया है।
रिपोर्ट- साक्षी झा