Bihar Crime News: सारण में शराब बिक्री के हालात ऐसे हो गए हैं कि दिखता कहीं नहीं है लेकिन बिकता हर जगह है। और इसका सबसे सेफ जोन जिले के सोनपुर ,नयागांव, दिघवारा, डोरीगंज रिविलगंज के अलावे जिले के अन्य प्रखंडों के दियारा क्षेत्र या चंवर वाले इलाके हैं। इन इलाकों के विभिन्न गांवों में अवैध शराब का कारोबार एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। कच्ची शराब बनाने के लिए बदनाम अड्डों पर पुरुषों की जगह महिलाओं ने कमान संभाल ली है। इस वजह से कई बार छापेमारी पर पुलिस महिलाओं पर सख्ती करने में असहज हो जाती है। हालत यह है कारखाने के अंदाज में कच्ची शराब के अड्डे संचालित होने लगे हैं। एजेंटों के माध्यम से कच्ची शराब की सप्लाई गांव और शहर के विभिन्न इलाकों में की जा रही है। पुलिस की नींद तब खुलती है जब किसी जिले में अवैध की वजह से कोई अनहोनी हो जाती है।
सबसे बड़ी बात है कि यह धंधा बड़ा मुनाफा देने वाला है जो जानकारी हाथ लगी है उसके अनुसार एक 18 लीटर के गैलन को धंधेबाज ₹500 में खरीदे हैं और इसे नशेड़ीयों के बीच 4500 में बेचते हैं। यानी सीधे-सीधे 9 गुना फायदा। अवैध शराब के धंधे में मोटा फायदा होने की वजह से जिले के कई प्रभावशाली लोगों का भी अवैध शराब के कारोबारियों के ऊपर हाथ रहता है। पुलिस से बचने के लिए अवैध शराब का धंधा करने वालों ने अपना तरीका बदल दिया है। कच्ची शराब बनाकर उसे बेचने का काम महिलाएं कर रही है। पुलिस व आबकारी विभाग का दल कच्ची शराब बनाने के लिए बदनाम शहर के दक्षिणी दियारे इलाके में पहुंचती है तो वहां महिलाएं ही मिलती हैं। सोनपुर के कई वीडियो जो कि प्रभात खबर के पास है यह बताने के लिए काफी है कि वहां शराब उद्योग काफी फल-फूल रहा है।
शराब के धंधेबाज अपने धंधे में बेरोजगार युवाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. ये युवा ही इनके लिए कैरियर बनकर शराब की होम डिलीवरी करते हैं. होम डिलीवरी करने के लिए चोरी की बाइक का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है। इनमें अधिकतर छात्र या वैसे युवा होते हैं, जो कुछ कमाई के चक्कर में इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं. अगर ये पकड़ लिए गए तो छूटकर आने के बाद बड़े धंधेबाज के लोग उन्हें डरा-धमका कर फिर से इस दलदल में धकेल देते हैं. सारण में बच्चे और महिलाओं द्वारा कैरियर का काम करने का मामला संज्ञान में आया है. विभिन्न इलाकों से अब तक करीब चार दर्जन से अधिक धंधेबाज इस सिलसिले में पकड़े जा चुके हैं. दरअसल, धंधेबाज आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे को टारगेट करते हैं. पहले छोटे-मोट लालच देकर ये बच्चों से थोड़ी दूरी तक शराब की ढुलाई करवाते हैं. फिर बच्चे को मोबाइल फोन थमा होम डिलीवरी के काम में लगा देते हैं.
हर बार छापेमारी की जाती है. कानूनी कार्रवाई भी होती है. अभी ऐसी कोई सूचना नहीं है की रिबेलगंज प्रखंड के विभिन्न पंचायतमे दारू बन रहा है या बिक रहा है बाढ़ के समय कार्रवाई नहीं हो रही थी अब एक बार फिर कार्रवाई शुरू हो जाएगी.
रिपोर्ट- संजय भारद्वाज