Bihar News: सूबे के सभी सरकारी लोक सेवकों को हर वित्तीय वर्ष में संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य होता है.। लेकिन अब यह खानापूर्ति होने लगी है. सरकारी सेवक आधी संपत्ति को सार्वजनिक करते हैं, बाकि को छुपा लेते हैं. यह खेल धड़ल्ले से जारी है. न्यूज4नेशन ने कई अधिकारियों के ऐसे खेल का खुलासा किया है. अब निगरानी विभाग की नजर इस पर पड़ गई है. निगरानी विभाग ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जो सरकारी सेवक निर्धारित मानक का पालन नहीं कर रहे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. सभी अधिकारियों-कर्मियों को संपत्ति की पूरी जानकारी देनी है. ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ एक्शन की तैयारी है. एक उदाहरण से बताते हैं कि, किस तरह से धनकुबेर सरकारी सेवक सरकार की आंखों में धूल झोंकते हैं. परिवहन विभाग के एक प्रवर्तन अवर निरीक्षक( परिवहन दारोगा) ने तो सारी सीमा लांघ दी. पढ़िए इनकी चालाकी....
परिवहन विभाग के धनकुबेर दारोगा की चालाकी....
परिवहन विभाग के एक धनकुबेर दारोगा ने सरकार की नजरों से बचने को लेकर जबरदस्त खेल खेला है. उन्होंने संपत्ति अर्जन में अपने नाबालिक बेटे को आगे कर दिया. नाबालिग के नाम पर नवंबर 2022 में एक दिन में ही 114 डिसमिल जमीन की खऱीद कर ली . बेटे को माईनर दिखाया और पत्नी को गार्जियन. इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री कराया. चंपारण के शिकारपुर निबंधन कार्यालय में नवंबर 2022 में परिवहन दारोगा ने यह रजिस्ट्री कराई थी. परिवहन दारोगा ने 2023 में दिए संपत्ति के ब्योरे में इस जानकारी को सरकार से छुपा लिया. न्यूज4नेशन ने इस खेल का खुलासा किया तो 2024 में उन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी सरकार को दी . उसमें बेटे के नाम पर अर्जित संपत्ति को मां-दादी से गिफ्ट बता दिया. जबकि जमीन के क्रय के कागजात सबूत के तौर पर है. 2 नवंबर 2022 को परिवहन दारोगा की पत्नी और नाबालिग बेटे के नाम पर अर्जित की गई 114 डिसमिल जमीन को खरीदगी बताई गई है. क्रेता में परिवहन दारोगा की पत्नी और बेटे का नाम है. वहीं विक्रेता में #####ठाकुर के नाम का उल्लेख है. यहां एक और खेल किया गया है...नाबालिग बेटे का पेशा कृषि बताया गया है. वहीं पत्नी को हाउस वाइफ. साथ ही जमीन की खऱीद का सरकारी मूल्य का भी उल्लेख किया गया है. कागजात में लाखों मूल्य बताया गया है. जमीन की खरीद करना गलत नहीं पर छुपाना या गलत जानकारी देना गुनाह है .ऐसा करने पर सरकार उसे आय से अधिक संपत्ति बताती है और कार्रवाई करती है. परिवहन दारोगा ने 2024 के संपत्ति के ब्योरे में बेटे के बारे में लिखा है कि ''खेती योग्य जमीन 10 कट्ठा जो मां-दादी मां द्वारा गिफ्टेड है.'' जबकि सबूत इसके उलट है. सरकारी कागजात में क्रेता-विक्रेता और सरकारी मूल्य का उल्लेख किया गया है, जो साबित करता है कि किसी ने 114 डिसमिल जमीन बेची और दूसरे शख्स(प्रवर्तन अवर निरीक्षक) की पत्नी-बेटे ने 114 डी. जमीन की खरीद की.
चंपारण के रहने वाले हैं दारोगा जी..वर्तमान में भागलपुर प्रक्षेत्र की बढ़ा रहे शोभा
परिवहन विभाग दारोगा ने 2023 में संपत्ति का जो ब्योरा दिया था, उसमें सारी बातों को छुपा लिया था. लेकिन खुलासा हुआ तो बचने के लिए 2 फऱवरी 2024 को दी गई संपत्ति के ब्योरे में बेटे के नाम पर जमीन की बात स्वीकार किया, पर उसे दान वाला बता दिया. जांच जब भी हो ..दूध का दूध और पानी का पानी होगा. क्यों कि छुपाने के इस खेल में प्रवर्तन अवर निरीक्षक खुद बेनकाब होते दिख रहे हैं. परिवहन दारोगा के बारे में जान लें. परिवहन दारोगा का पैतृक जिला पश्चिम चंपारण है. 2023 में ये परिवहन दारोगा राजधानी में प्रतिनियुक्त थे. इसके बाद यूपी से सटे जिला में तैनात हो गए। अब संपत्ति के खिलाड़ी ये प्रवर्तन अवर निरीक्षक भागलपुर इलाके में तैनात हैं. हालांकि सरकार की जांच एजेंसियां ऐसे धनकुबेर सरकारी सेवकों की पड़ताल में जुटी है. वह दिन दूर नहीं जब सरकार की आंखों में धूल झोकने वाले परिवहन विभाग के इस दारोगा के खिलाफ कार्रवाई होगी.