PATNA । राजधानी से सटे दानापुर के पेठिया बाजार में शनिवार 21 दिसम्बर 2024 समय तकरीबन 8 बजकर 23 मिनट पर पूर्व पार्षद और छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह BJP के सक्रिय कार्यकर्ता रणजीत कुमार उर्फ दही गोप को एक अपराधी ने अति दुस्साहस का परिचय देते हुए पीछे से बिलकुल करीब पहुचकर उस वक्त दनदना गोलियां मार दी जब वो अपनी स्कॉर्पियो से उतरकर अपने घर के बगल में ही एक श्राद्ध कर्म में शामिल होने खातिर पहुंचे थे।घटना के वक्त दही गोप 3–4 स्थानीय लोगों से खड़े होकर बातचीत कर रहे थे। इन्हीं चश्मदीदों ने पूरी वारदात से अब पर्दा उठाया दिया है। वही, गोलीबारी में विकास उर्फ गोरखनाथ की ऑन स्पॉट मौत हो गई थी। इस हमले में रणजीत उर्फ दही गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे और इलाज के दौरान पटना के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया।
चश्मदीद की जुबानी हत्याकांड की कहानी
दही गोप पर जब इकलौते दुःसाहसी शूटर ने फायरिंग की तब उनके साथ उनका ड्राइवर और तीन स्थानीय लोग खड़े बातचीत कर रहे थे। हमला होने से महज कुछ देर पहले दही ने अपने एक पुराने साथी सह स्थानीय कारोबारी से अपनी एक और उपलब्धि के बाबत जानकारी साझा करते हुए बताया कि वो अब वकील बन गए है। वकालत करने की तमाम प्रक्रिया पूरी कर ली है। दअरसल,रणजीत ने LLB की भी पढ़ाई पूरी कर ली थी। अभी ये बाते हो ही रही थी तभी अचानक बकौल चश्मदीद के जैकेट पहने और पूरी तरह अपने चेहरा ढके एक युवक प्रकट हुआ और उसने दही गोप को पहली गोली मार दी। अचानक आई आवाज से लोगबाग कुछ समझ पाते तब तक शूटर ने दनादन 3 और गोलियों दही गोप को मार दी फिर क्या था साथ खड़े लोग जान बचाने को भाग खड़े हुए। अचानक हुई इस गोलीबारी से अफरातफरी मच गई और इसका फायदा उठाकर शूटर भी फरार हो गया और इसी बीच उसने विकास उर्रफ गोरख राय को भी इस भ्रम में गोलियां मार दी की वो उसे पकड़े की कोशिश कर रहा है। जबकि बकौल चश्मदीद के ऐसी कोई बात नहीं थी गोरख चूड़ा खरीद कर घर जा रहा था और बिनावजह मारा गया। शूटर ने अपने चेहरे को मफलर से पूरी तरह छुपाकर और जैकेट पहनकर पहुचा था। ताकि कोई पहचान न सके मतलब उसे पहचाने जाने का डर था! मतलब साफ़ है शूटर स्थानिए रहा होगा !
फिल्म और फायरिंग
मिली जानकारी के अनुसार घटना वाले दिन यानी शनिवार, 21 दिसम्बर को दही गोप सपरिवार पटना में अपने गैस एजेंसी से जुड़े धंधे के एक कार्यक्रम में शामिल हुए और फिर राजा बाजार स्थित सिने कॉम्प्लेक्स में पत्नी और बच्चो संग फिल्म देखी और पार्टी में शामिल होने से इनकार कर यह कहते पेठिया बाजार लौट आए कि घर के बगल में ब्रह्मभोज में शामिल होना है। जैसे ही परिवार संग पहुंचे पहले से घात लगाए शूटर ने महज एक मिनट में ही दही गोप को गोलियों से भून दिया और फरार हो गया। घटना के बाद कोहराम मच गया।
क्या अपनों ने ही रची साजिश?
गोलीबारी में बुरी तरह जख्मी होकर एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान जिंदगी की जंग हारे छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रणजीत कुमार उर्फ दही गोप मूल रूप से पटना जिले के नौबतपुर थाना क्षेत्र के मूल निवासी थे। पर दानापुर के पेठिया बाजार में अपने नाना के घर पर रहा करते थे। यही से अपने सियासी कैरियर की शुरुआत की ये बात अलग है कि इसके ऊपर भी दबंगई के आरोप लगे और कानून की विभिन्न धाराओं में कई आपराधिक मामले दर्ज थे। लेकिन समय के साथ इन्होंने समाज सेवा के जरिए दानापुर में अपनी अच्छी और सशक्त उपस्थित दर्ज कराई और लोकप्रियता हासिल कर ली।
आम आदमी से लेकर व्यापारी वर्ग में इनकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी। दही गोप वार्ड नंबर एक के सदस्य बने। छावनी परिषद भंग होने के कारण उनकी उपाध्यक्ष की कुर्सी छिन गई थी।लेकिन राजनीति में इनकी सक्रियता लगातार बढ़ रही थी। तमाम सियासी दलों में भी इनकी अच्छी पकड़ थी। विशेषकर विगत वषों से इनकी एनडीए गठबंधन के नेताओं से गहरी छनने लगी थी। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए इनकी सक्रियता लागतार बनी हुई थी। विदित हो कि दानापुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा कोटे की सीट है।
एक तीर से कई निशाने!
दानापुर का बेहद पुराना और इलाके का प्रसिद्ध थोक और खुदरा कारोबारी केंद्र के तौर पर पेठिया बाजार का नाम लिया जाता है। इस बाजार पर कभी मखना के खौफ का साया पसरा रहता था। रमेश उर्फ मक्खन उर्फ मखना अपराधियों का गिराेह चलाता था। उसके गिरोह में 2 दर्जन से अधिक गुर्गे व शार्प शूटर थे। रकम लेकर जमीन का कब्जा करने से लेकर किसी की हत्या करना इस गिरोह की फितरत थी। दानापुर के पेठिया बाजार में परिवार के साथ रहने वाले मखना ने कम उम्र में ही अपराध जगत में कदम रख दिया था। उसने लूट,हत्या,डकैती,जमीन कब्जा,बालू खनन से लेकर फिरौती जैसे घटनाओं को अंजाम दिया। मखना पर अकेले दानापुर में हत्या, लूट, रंगदारी, मारपीट के 12 से अधिक मामले दर्ज हैं।धीरे-धीरे रंगदारी के धंधे में उतर गया। पेठिया बाजार समेत पूरे दानापुर के व्यापारी वर्ग में उसके नाम का खौफ था। रंगदारी नहीं देने पर कई हत्याएं की। इस तरह उसने अकूत संपत्ति बना ली।
लेकिन शनिवार, 21 अक्तूबर 2017 को दीघा थाना क्षेत्र के रामजीचक स्थित ससुराल में पटना के टॉप टेन अपराधियों की लिस्ट में शामिल कुख्यात रमेश उर्फ मखना उर्फ छोटका मखना की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई।लेकिन उसके गिरोह के शूटरों की फौज बची रह गई जो पेठिया बाजार पर फिर एक बार कब्जा कर रंगदारी वसूलने का मंसूबा पाले उचित समय का इंतजार कर रही थी।
भाजपा से जुड़ाव और 2025 का विधानसभा चुनाव
स्थानीय लोग खुल कर तो कुछ भी कहने से बच रहे है पर इशारों में इस हत्या को सियासी आपराधिक गठजोड़ का नतीजा मान रहे है। अंतिम यात्रा में उमड़े जन सैलाब छतों से होती शव पर फूलों की बारिश अमर रहे के गगन भेदी नारों ने भी मकतूल दही की अपार लोकप्रियता का सहज अंदाजा कराया जो इस दावे की ओर पुख्ता इशारा करता है। दअरसल, कहते है सियासत में न कोई दोस्त होता है न रकीब होता है सिर्फ अपनी जीत का खातिर हर कुर्बानी देने वाल ही हमेशा कामयाब होता है। शायद इसी फलसफे के तहत एक तीर से कई निशाने साध लिए गए।
बेहद करीने से सियासी फायदे और भविष्य में सियासी रुकावट की आशंका को जड़ से मिटाने खातिर क्या छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रणजीत कुमार को स्थानीय अपराधियों के हाथों मौत की नींद सुला दिया गया है? दही की मौत से किसको सियासी फायदा होगा किसकी किस दल में एंट्री आसान होगी और शूटर ने क्यों और किसके कहने पर कांड को अंजाम दिया और काण्ड को अंजाम देकर किस जिले में प्रवेश कर गया! जैसे तमाम बिंदुओं पर पुलिस गहनता से छानबीन कर रही है। इकलौता दुःसाहसी शूटर और साजिश के पीछे पूरा नेटवर्क काम कर रहा था इसकी बानगी है फरार होते समय शूटर को मिला बैकअप यानि सब तय था! पुलिस को अपनी जाँच मिले सीसीटीवी फुटेज भी इसकी गवाही दे रहे है! लेकिन सवाल उठता है शूटर की गिरफ्तारी होगी कब?
REPORT - KULDEEP BHARDWAJ