10 हजार रूपये राशि वापस करने के जीविका के पत्र से हड़कंप ! मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में 'तकनीकी त्रुटि' से उपजा नया विवाद

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का लाभ केवल जीविका से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों के लिए है, लेकिन तकनीकी त्रुटि के कारण 10 हजार रुपये की राशि कुछ पुरुषों के खातों में भी ट्रांसफर हो गई।

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10 हजार रूपये राशि वापस करने के जीविका के पत्र से हड़कंप ! - फोटो : NEWS 4 NATION

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बंपर जीत के बाद मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को लेकर जो तस्वीर सामने आई है, उसने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 10 हजार रुपये की इस योजना को एनडीए की जीत का एक बड़ा कारक बताया जा रहा था, लेकिन अब इसे लेकर रिश्वत, वोट खरीद और प्रशासनिक लापरवाही के आरोप तेज हो गए हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य जीविका से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को लाभ देना था, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।


पुरुषों के खातों में राशि ट्रांसफर और वसूली का पत्र

ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब जीविका के दरभंगा जिले के जाले प्रखंड से जारी एक आधिकारिक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि 'तकनीकी त्रुटि' के कारण 10 हजार रुपये की यह राशि कुछ पुरुषों के खातों में भी ट्रांसफर हो गई है, जबकि यह योजना केवल महिलाओं के लिए है। पत्र में संबंधित पुरुष लाभार्थियों से तुरंत यह राशि वापस सरकारी खाते में जमा करने का अनुरोध किया गया है। इस पत्र ने पूरे मामले को एक नया राजनीतिक मोड़ दे दिया है, जिस पर विपक्षी दल हमलावर हो गए हैं।

चुनावी 'तोहफा' अब बना सिरदर्द

इस पत्र के सामने आते ही उन पुरुषों में हड़कंप मच गया, जिनके खातों में चुनावी मौसम में अचानक 10 हजार रुपये पहुंचे थे। कई गरीब और बेरोजगारी से जूझ रहे परिवारों ने इस राशि को सरकार की ओर से मिला चुनावी तोहफा समझकर खर्च कर दिया था। अब जब जीविका ने वसूली का पत्र भेजा है, तो लोग असमंजस और गुस्से में हैं। यह रकम, जो पहले उनके लिए राहत जैसी थी, अब उनके लिए सिरदर्द बन गई है, जिससे वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।


प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक आरोप

यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि विपक्षी दल (जैसे RJD) ने इसे एनडीए नेताओं और अफसरों द्वारा 'हड़बड़ी' में की गई 'भयंकर गड़बड़ी' बताया है, और आरोप लगाया है कि यह वोट खरीदने की कोशिश थी। उनके अनुसार, इतनी अधिक भुखमरी और बेरोजगारी में लोगों ने यह पैसा तुरंत खर्च कर दिया होगा और अब वे इसे वापस नहीं करेंगे। इस पूरे विवाद ने योजना की पारदर्शिता और चुनाव से ठीक पहले बड़े पैमाने पर किए गए इस तरह के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की टाइमिंग पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।