Hate Remarks Against PM Modi:पीएम मोदी और उनकी मां पर विवादित टिप्पणी केस में जमानत याचिका खारिज, दरभंगा अदालत का सख्त रुख, बिहार की सियासत में मचा संग्राम

अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में आरोपितों की नियमित और अग्रिम जमानत याचिका दोनों खारिज कर दी।

Bail Plea Rejected in PM Modi Mother Remark Case
पीएम मोदी और उनकी मां पर विवादित टिप्पणी केस में जमानत याचिका खारिज- फोटो : social Media

Hate Remarks Against PM Modi:बिहार की राजनीति एक बार फिर कानूनी और सियासी दोनों मोर्चों पर गर्मा गई है। दरभंगा व्यवहार न्यायालय के प्रधान सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्रा की अदालत ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में आरोपितों की नियमित और अग्रिम जमानत याचिका दोनों खारिज कर दी।

यह मामला 27 अगस्त 2025 को दरभंगा के अतरबेल चौक पर तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में मत अधिकार यात्रा निकाली गई थी। यात्रा के दौरान मंच से कुछ नेताओं ने कथित रूप से प्रधानमंत्री मोदी और उनकी मां पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पूरे बिहार में राजनीतिक हलचल और आक्रोश की लहर दौड़ गई।

भाजपा ने इस घटना को महागठबंधन की नफरत भरी राजनीति बताते हुए तीखी निंदा की। दरभंगा जिला भाजपा अध्यक्ष आदित्य नारायण चौधरी उर्फ़ मन्ना ने तत्काल सिमरी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई (कांड संख्या 243/2024)। केस में मोहम्मद नौशाद और उनके साथियों को आरोपी बनाया गया। पुलिस ने जांच के दौरान एक आरोपी को गिरफ्तार कर 29 अगस्त 2025 को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया, जबकि मुख्य आरोपी नौशाद अभी फरार बताया जा रहा है।

इस मामले में आईपीसी की धारा 153ए, 504 और 505 के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और विद्वेष फैलाने से जुड़े हैं।

लोक अभियोजक (पीपी) अमरेन्द्र नारायण झा ने अदालत में दोनों जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने सोच-समझकर समाज में ज़हर घोलने की कोशिश की। वीडियो साक्ष्य और गवाहों के बयानों के आधार पर उन्होंने तर्क दिया कि यह कोई सामान्य टिप्पणी नहीं बल्कि एक “राजनीतिक साज़िश” थी, जो देश की एकता पर प्रहार करने की कोशिश थी। अदालत ने अभियोजन पक्ष के तर्कों को मान्य करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अदालत ढील नहीं दे सकती, और दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं।

भाजपा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया। जिला अध्यक्ष मन्ना चौधरी ने कहा, “जो लोग मंच से प्रधानमंत्री और उनकी मां का अपमान करते हैं, वे बिहार की संस्कृति को ठेस पहुंचाते हैं। कोर्ट ने सच्चाई को पहचान लिया।

वहीं इंडिया गठबंधन ने इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। राहुल गांधी के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि “हम अपशब्दों की निंदा करते हैं, लेकिन अदालत का फैसला जल्दबाजी में लिया गया लगता है।” तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि  प्रधानमंत्री को चुनावी नफरत छोड़कर बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर बात करनी चाहिए।

फिलहाल, बचाव पक्ष उच्च न्यायालय में अपील की तैयारी में है। कोर्ट ने पुलिस को मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी और डिजिटल साक्ष्यों की जांच तेज़ करने का निर्देश दिया है।