भाग्यनगरी हैदराबाद में गूँजी मिथिला की आत्मा की आवाज, सातवें विद्यापति स्मृति पर्व में संस्कृति, संघर्ष और संकल्प का संगम, देख लीजिए तस्वीरें

Mithila News: हज़ारों किलोमीटर दूर, दक्कन की सरज़मीं हैदराबाद में मनाया गया यह विद्यापति स्मृति पर्व एक संदेश छोड़ गया दूरी चाहे जितनी हो, मिथिला दिलों में ज़िंदा है और मैथिल समाज अपनी संस्कृति की हिफ़ाज़त के लिए आज भी उतना ही संकल्पबद्ध है।

7th Vidyapati Memorial Festival
सातवें विद्यापति स्मृति पर्व में संस्कृति, संघर्ष और संकल्प का संगम- फोटो : reporter

Mithila News: हज़ारों किलोमीटर दूर, दक्कन की सरज़मीं पर बसी भाग्यनगरी हैदराबाद में जब मिथिला की बोली, गीत और आत्मा एक साथ गूँज उठी, तो यह सिर्फ़ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का जज़्बाती एलान था। मिथिला सामाजिक मंच की ओर से आयोजित 7वां विद्यापति स्मृति पर्व उन मैथिल दिलों का आईना बना, जो रोज़गार और मजबूरियों के चलते दूर तो चले आए, मगर अपनी माटी, भाषा और संस्कृति को दिल से कभी जुदा नहीं कर पाए।

इस ऐतिहासिक आयोजन में सैकड़ों की संख्या में मैथिल परिवार एक छत के नीचे जुटे। आँखों में अपनापन, ज़ुबान पर मैथिली और दिल में एक ही अरमान संस्कृति का संरक्षण और आने वाली पीढ़ियों को पहचान का तोहफ़ा। विद्यापति जैसे महाकवि की स्मृति में यह पर्व, मानो मिथिला की आत्मा का उत्सव बन गया।

कार्यक्रम की शान बने दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद गोपालजी ठाकुर, जिन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर आयोजन को गरिमा प्रदान की। अपने संबोधन में उन्होंने साफ़ लहजे में मिथिला क्षेत्र को अलग-अलग उपक्षेत्रों में बाँटने की साज़िश का विरोध किया। उन्होंने कहा कि “मिथिला की ताक़त उसकी एकता में है,” और लोगों से एकजुट होकर अपनी अस्मिता की हिफ़ाज़त करने की अपील की।

मंच पर जब मैथिल कलाकार माधव राय, राधे भाई, रचना झा और उनकी टीम उतरी, तो पूरा सभागार झूम उठा। लोकगीतों की मिठास, ढोलक की थाप और मैथिली शब्दों की खुशबू ने माहौल को भावुक और उल्लासपूर्ण बना दिया। हर ताल पर ताली, हर गीत पर दिल यह साबित कर रहा था कि मिथिला कहीं जाती नहीं, वह अपने लोगों के साथ चलती है।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत झा ने अपने संदेश में मैथिली भाषा के विकास, शिक्षा और साहित्य पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषा सिर्फ़ बोलचाल नहीं, बल्कि पहचान और आत्मसम्मान का सवाल है।

हैदराबाद से मनीष मिश्रा की रिपोर्ट