Rahul Gandhi: "पुलिस रोकी, जनता ने टोकी – दरभंगा में राहुल गांधी का बगावती बुलडोजर, बोले – 'जनता की ताक़त ने हिला दी बिहार पुलिस की बैरिकेडिंग '"

Rahul Gandhi: अंबेडकर छात्रावास के पास पहले से ही करीब दो हजार छात्र और कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे। वहां पहले से तैयार मंच पर राहुल गांधी ने छात्रों को संबोधित किया।

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"पुलिस रोकी, जनता ने टोकी"- फोटो : reporter

Rahul Gandhi: बिहार के दरभंगा में गुरुवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के पांचवें दौरे ने सियासी भूचाल ला दिया। 'शिक्षा न्याय संवाद' कार्यक्रम के लिए दरभंगा पहुंचे राहुल गांधी और जिला प्रशासन के बीच अंबेडकर छात्रावास में आयोजन को लेकर तनातनी सड़कों पर उतर आई। प्रशासन ने बुधवार देर रात पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा के आवेदन के आधार पर टाउन हॉल में कार्यक्रम की अनुमति दी थी, लेकिन राहुल गांधी और उनके समर्थक अंबेडकर छात्रावास में ही आयोजन करने पर अड़े रहे। आखिरकार, पुलिस की बैरिकेडिंग और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता  की धारा 163 के बावजूद राहुल गांधी पैदल चलकर अंबेडकर छात्रावास पहुंचे और छात्रों को संबोधित किया। इस सनसनीखेज घटनाक्रम ने बिहार की सियासत को गरमा दिया और सोशल मीडिया पर तूफान मचा हुआ है।

क्या हुआ दरभंगा में?

राहुल गांधी सुबह 11 बजे दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरे और अपने काफिले के साथ मोगलपुरा स्थित डॉ. अंबेडकर कल्याण छात्रावास की ओर बढ़े, जहां 'शिक्षा न्याय संवाद' कार्यक्रम प्रस्तावित था। लेकिन विश्वविद्यालय थाना के पास कर्पूरी चौक पर पुलिस ने उनके काफिले को रोक लिया। प्रशासन ने बताया कि अंबेडकर छात्रावास के आसपास धारा 163 लागू है, जिसके तहत कोई सभा या कार्यक्रम नहीं हो सकता। प्रशासन ने टाउन हॉल में आयोजन की अनुमति दी थी, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ता अंबेडकर छात्रावास में ही कार्यक्रम करने की जिद पर अड़े रहे। बुधवार रात से ही कांग्रेस समर्थक और छात्र वहां प्रदर्शन कर रहे थे।

राहुल गांधी का बगावती कदम: पैदल मार्च और पुलिस की बेबसी

काफिला रोके जाने के बाद राहुल गांधी ने गाड़ी से उतरकर पैदल ही अंबेडकर छात्रावास की ओर बढ़ने का फैसला किया। उनके साथ सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता, जिसमें कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, और अन्य नेता शामिल थे, सड़क पर उतर आए। राज परिसर के चौरंगी इलाके से होते हुए राहुल गांधी ने करीब 2.5 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय किया। रास्ते में समर्थकों ने केंद्र और बिहार की जेडी(यू)-बीजेपी "डबल इंजन सरकार" के खिलाफ नारेबाजी की, जैसे "नीतीश-मोदी सरकार हाय-हाय" और "दलित-पिछड़ा विरोधी सरकार मुर्दाबाद"। पुलिस ने कई बार उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन राहुल गांधी ने प्रशासन के सामने झुकने से इनकार कर दिया। वे लोगों को हाथ हिलाते हुए, मुस्कुराते हुए अंबेडकर छात्रावास पहुंच गए।

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अंबेडकर छात्रावास में राहुल का जोरदार संबोधन

अंबेडकर छात्रावास के पास पहले से ही करीब दो हजार छात्र और कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे। वहां पहले से तैयार मंच पर राहुल गांधी ने छात्रों को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने बिहार पुलिस और "डबल इंजन सरकार" पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने कहा, "बिहार पुलिस ने हमें रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे रोक नहीं पाए, क्योंकि आपकी शक्ति हमारे साथ है। जैसे हमें यहां आने से नहीं रोक पाए, वैसे ही बिहार में सामाजिक न्याय की लड़ाई को नहीं रोक पाएंगे।"

उन्होंने तीन प्रमुख मांगें दोहराईं:  

जाति जनगणना: "हमने तेलंगाना में वैज्ञानिक तरीके से जाति जनगणना की। बिहार में भी इसे लागू करेंगे। पीएम मोदी और नीतीश सरकार इसके खिलाफ हैं, लेकिन हमारी दबाव की रणनीति से मोदी को झुकना पड़ा।"  

प्राइवेट संस्थानों में आरक्षण: "हिंदुस्तान के प्राइवेट कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में SC, ST, OBC के लिए आरक्षण होना चाहिए। नरेंद्र मोदी और बिहार सरकार इसे लागू नहीं कर रही, लेकिन हम दबाव बनाएंगे।"  

आर्थिक न्याय: "SC, ST, OBC का पैसा, जो आपको नहीं मिलता, वो आपको मिलना चाहिए। देश की 90% आबादी को उसकी ताकत समझनी होगी। सारा धन कुछ लोगों के हाथों में जाता है, जबकि मनरेगा की सूची में सिर्फ दलित, पिछड़े, और आदिवासी हैं।"

राहुल ने बिहार की "डबल इंजन धोखेबाज सरकार" पर दलित और पिछड़े छात्रों की आवाज दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यह सरकार अडानी-अंबानी की है, आपकी नहीं। भारत में लोकतंत्र है, संविधान है, तानाशाही नहीं। कोई हमें सामाजिक न्याय और शिक्षा की बात करने से नहीं रोक सकता।" संबोधन के बाद राहुल गांधी पटना के लिए रवाना हो गए, जहां वे सामाजिक सुधारकों ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले पर बनी फिल्म 'फुले' देखने वाले हैं।

प्रशासन का रुख और कांग्रेस का आक्रोश

दरभंगा जिला प्रशासन ने बुधवार देर रात एक पत्र जारी कर साफ किया कि सुरक्षा और प्रशासनिक कारणों से अंबेडकर छात्रावास में कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा सकती। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा के आवेदन के आधार पर टाउन हॉल में आयोजन की मंजूरी दी गई थी। जिला जनसंपर्क कार्यालय ने कहा, "कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए टाउन हॉल में कार्यक्रम की अनुमति दी गई है।" लेकिन कांग्रेस ने इसे जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन की साजिश करार दिया। 

एआईसीसी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक अभय दूबे ने बुधवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया, "जिला कल्याण अधिकारी ने बिना कोई ठोस कारण बताए अनुमति रद्द की। यह डबल इंजन सरकार की तानाशाही है, जो दलित छात्रों की आवाज को दबाना चाहती है।" दरभंगा की डिप्टी मेयर नाजिया हसन ने इसे "पूर्व नियोजित साजिश" बताया और कहा, "अगर अनुमति नहीं देनी थी, तो पहले ही मना कर देते। आखिरी वक्त पर अनुमति रद्द करना सरकार का डर दिखाता है।"

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

इस घटना ने सोशल मीडिया, खासकर X पर तहलका मचा दिया। राहुल गांधी ने खुद X पर लिखा, "बिहार में NDA की 'डबल इंजन धोखेबाज़ सरकार' मुझे अंबेडकर हॉस्टल में दलित और पिछड़े छात्रों से बातचीत करने से रोक रही है। संवाद कब से अपराध हो गया? नीतीश जी, आप किस बात से डर रहे हैं? क्या बिहार में शिक्षा और सामाजिक न्याय की स्थिति छुपाना चाहते हैं?"@INCIndia  ने पोस्ट किया, "JDU-BJP की कायर सरकार ने राहुल गांधी को अंबेडकर हॉस्टल में छात्रों से मिलने से रोकने के लिए पुलिस लगाई। आयोजन स्थल पर तोड़फोड़ करवाई और छात्रों को जबरन वापस भेजा। क्या दलित-पिछड़े छात्रों की आवाज सुनना इतना डरावना है?" कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, "राहुल गांधी को कोई नहीं रोक सकता। पुलिस के लाख रोकने के बावजूद वे पैदल चलकर अंबेडकर हॉस्टल पहुंचे। सामाजिक न्याय की लड़ाई अब राहुल जी ने अपने कंधों पर उठा ली है।"

क्यों चुना अंबेडकर छात्रावास?

'शिक्षा न्याय संवाद' कांग्रेस का राज्यव्यापी अभियान है, जिसका मकसद दलित, ओबीसी, अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), और अल्पसंख्यक छात्रों के साथ शिक्षा और सामाजिक न्याय पर चर्चा करना है। अंबेडकर छात्रावास को चुना गया, क्योंकि यह दलित समुदाय के लिए प्रतीकात्मक महत्व रखता है। कांग्रेस का कहना है कि इस स्थान पर आयोजन दलित-पिछड़े वर्गों के बीच मजबूत संदेश देता। लेकिन प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बताया।

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा, "बिहार में शिक्षा व्यवस्था डबल इंजन सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है। नालंदा और विक्रमशिला जैसे गौरवशाली इतिहास वाले राज्य में आज डिग्री 3 साल की 6 साल में मिलती है। हम छात्रों की आवाज उठाएंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान के तहत 62 राष्ट्रीय नेता बिहार के 75 स्थानों पर संवाद करेंगे, और छात्रों के फीडबैक से 'न्याय पत्र' तैयार किया जाएगा।

सियासी मायने

राहुल गांधी का यह दौरा बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी दलित, ओबीसी, और ईबीसी वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है, और अंबेडकर छात्रावास में आयोजन इस दिशा में प्रतीकात्मक कदम था। राहुल का पैदल मार्च और प्रशासन के खिलाफ बगावती तेवर उनके समर्थकों में जोश भरने वाला है।

हालांकि, जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन इसे कानून-व्यवस्था का उल्लंघन बताकर कांग्रेस पर हमलावर हो सकता है। दरभंगा डिप्टी मेयर नाजिया हसन ने कहा, "राहुल गांधी को माइक या मंच की जरूरत नहीं। एक सड़क और चौराहा उनकी आवाज के लिए काफी है।" NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने इसे "डबल इंजन सरकार की दलित-विरोधी और छात्र-विरोधी मानसिकता" करार दिया।राहुल गांधी का पटना में फिल्म 'फुले' देखने का कार्यक्रम भी सामाजिक न्याय के उनके एजेंडे को मजबूत करता है। इस बीच, यह घटना महागठबंधन के सहयोगियों, खासकर RJD और वाम दलों, को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस शिक्षा और युवा मुद्दों पर खुद को मजबूत कर रही है।राहुल गांधी का दरभंगा दौरा एक साधारण कार्यक्रम से बढ़कर सियासी ड्रामा बन गया। पुलिस की रोक, धारा 163, और प्रशासन की सख्ती के बावजूद राहुल का अंबेडकर छात्रावास पहुंचना और उनका बेबाक संबोधन बिहार में सामाजिक न्याय और शिक्षा के मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ले आया। उनकी बात, "बिहार पुलिस नहीं रोक पाई, क्योंकि आपकी शक्ति हमारे पास है", न केवल छात्रों में जोश भरने वाली है, बल्कि यह बिहार की सियासत में लंबे समय तक गूंजेगी। सवाल यह है कि क्या यह टकराव कांग्रेस को बिहार में नई ताकत देगा, या इसे सिर्फ सियासी नौटंकी के तौर पर देखा जाएगा?

रिपोर्ट- वरुण कुमार ठाकुर