Bihar Politics: राजद में टिकट की जंग तेज, दावेदारों की दोतरफा तैयारी, बागियों के साथ खड़े होंगे तेज प्रताप

Bihar Politics: टिकट के दावेदार एक तरफ़ राजद के दरवाज़े पर टिकट के लिए दस्तक दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ़ उन्होंने तेज प्रताप यादव के दरबार में भी अपनी हाज़िरी दर्ज करवा रहे है।...

Tej Pratap
बागियों के लिए ‘मसीहा’ बनकर उभरेंगे तेज प्रताप यादव!- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव की तारीख़ भले अभी ऐलान नहीं हुई हो, मगर सियासी गली-कूचों में हलचल तेज़ हो चुकी है। टिकट के दावेदार अब परदे के पीछे नहीं, बल्कि खुलकर मैदान में उतरने लगे हैं। राजद के भीतर भी हालात कुछ ऐसे हैं कि कई नेता दोतरफा खेल खेलने में लगे हुए हैं।

सूत्र बताते हैं कि दर्जनों दावेदार एक तरफ़ राजद के दरवाज़े पर टिकट के लिए दस्तक दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ़ उन्होंने तेज प्रताप यादव के दरबार में भी अपनी हाज़िरी दर्ज करवा रहे है। कई ऐसे दिग्गज नेता, जिन्हें लगता है कि टिकट की राह बंद है, अब बग़ावत के तेवर दिखाते हुए कहते हैं कि अगर पार्टी ने हमको मौका नहीं दिया तो हम तेज प्रताप के सहारे मैदान में उतरेंगे और सामाजिक न्याय का बिगुल बजाएँगे।

पिछले कुछ हफ़्तों में तेज प्रताप का लगातार दरभंगा दौरा और रोड शो इस बात की गवाही दे रहा है। हायाघाट और कुशेश्वरस्थान सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में तेज प्रताप का काफ़िला जिस अंदाज़ में निकला, उसे देख कार्यकर्ताओं ने नारा लगाया—“लालू प्रसाद का दूसरा अवतार, तेज प्रताप हमारा हथियार।”

दरभंगा की 10 सीटों पर 2020 में राजद को सिर्फ़ एक जीत मिली थी, जबकि बाक़ी सीटों पर एनडीए ने बाज़ी मार ली थी। इस बार महागठबंधन में VIP जैसी पार्टियाँ भी शामिल हैं, जिससे सीटों का बंटवारा और पेचीदा हो गया है। राजद के कई पुराने चेहरे इस समीकरण में हाशिये पर धकेले जा रहे हैं। ऐसे में वे कहते हैं कि “चुनाव लड़ना हमारा मौलिक हक़ है, चाहे तेजस्वी दें या तेज प्रताप।”

सियासी पंडित मान रहे हैं कि दरभंगा में जातीय गणित और युवा नेतृत्व का समीकरण तय करेगा कि कौन किस ओर जाएगा। कई मुखिया, जिला पार्षद और पूर्व पदाधिकारी पहले ही तेज प्रताप की परिक्रमा करने लगे हैं।

राजद के भीतर यह “खामोश बग़ावत” धीरे-धीरे मुखर होती दिख रही है। सवाल यह है कि क्या तेज प्रताप इस असंतोष को भुना कर अपने लिए “अलग सत्ता-आधार” तैयार करेंगे या फिर यह सब सिर्फ़ टिकट से वंचित नेताओं का दबाव बनाने का खेल है।