Bihar Health: जब सत्ता पक्ष के MLA ने खोली हॉस्पीटल की हकीकत, अस्पताल बना मौत का गलियारा
जदयू विधायक ने सार्वजनिक रूप से मान लिया कि उनके इलाके का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि लापरवाही और उपेक्षा का गढ़ बन चुका है।...

Bihar Health:बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल इस बार किसी विपक्षी ने नहीं, बल्कि सत्ता की कुर्सी पर विराजमान जदयू विधायक ने खुद खोल दी है। दरभंगा के कुशेश्वरस्थान से विधायक अमन भूषण हजारी ने सार्वजनिक रूप से मान लिया कि उनके इलाके का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि लापरवाही और उपेक्षा का गढ़ बन चुका है।
विधायक ने अस्पताल का हाल देखते हुए कहा “मरीजों को समय पर दवा नहीं मिल रही, इलाज के नाम पर खानापूर्ति है, डॉक्टरों और कर्मियों की भारी कमी है, और प्राथमिक सुविधाओं तक का घोर अभाव है।”
विडंबना देखिए, यह वही अस्पताल है जो विधायक जी के घर से सिर्फ 50–100 मीटर की दूरी पर है। यानी जनता को जो नर्क झेलना पड़ रहा है, उसकी दुर्गंध विधायक की चौखट तक पहुँच रही थी, लेकिन आंखें अभी तक मूंदे रहे।
अब बड़ा सवाल यह कि 5 साल तक विधायक जी ने चुप्पी क्यों साधी? चुनाव का समय आते ही अचानक उन्हें अस्पताल की हालत क्यों याद आई? क्या ये आत्मस्वीकारोक्ति है या फिर जनता को बहलाने का नया चुनावी हथकंडा?जिनके हाथों में सत्ता की चाबी थी, वही अब “कमियां मानने” का ढोंग कर रहे हैं। जनता पूछ रही है “जब अपने ही घर के बाहर का अस्पताल आप दुरुस्त न कर सके, तो पूरे बिहार की सेहत कैसे सुधारेंगे?”
दरअसल, यह तस्वीर सिर्फ कुशेश्वरस्थान की नहीं, बल्कि पूरे बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत बयान करती है। काग़ज़ों और सरकारी फाइलों में जहाँ सब कुछ “बेहतर” दिखाया जाता है, वहीं ज़मीनी हकीकत लाशों, संक्रमित मरीजों और लाचार जनता की चीखों में दर्ज है। साल है बिहार की जनता इलाज़ चाहती है या नेताओं की ‘मानने की राजनीति’?
रिपोर्ट- वरुण कुमार ठाकुर