Bihar News : दही-चूड़ा भोज से सियासत साधने की कला में माहिर रहे लालू यादव ने एक बार फिर से मंगलवार को राबड़ी आवास में राजद नेताओं- कार्यकर्ताओं की मकर संक्रांति पर जोरदार मेजबानी की. लेकिन लालू का दही-चूड़ा भोज इस बार सिर्फ पटना तक सीमित नहीं रहेगा. राजद ने अपने जिलाध्यक्षों, प्रभारियों, विधायकों को निर्देश दिया है कि वे अपने अपने क्षेत्र में दही-चूड़ा का भोज करें.
राजद का दही-चूड़ा भोज का यह कांसेप्ट सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा है. इसका बड़ा कारण इस वर्ष होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव है. बिहार की सत्ता से लम्बे समय से बाहर चल रहे रजद के लिए अब दही-चूड़ा भोज अपनी सियासी पकड़ को मजबूत करने का बड़ा माध्यम माना जा रहा है.
जमीनी स्तर पर गोलबंदी
दरअसल, राजद की कोशिश दही-चूड़ा के बहाने अपने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और नेताओं को गोलबंद करना माना जा रहा है. दही-चूड़ा खिलाकर लालू यादव अब अपने दल का फोकस पूरी तरह से निचले स्तर के वोट बैंक को मजबूत करने पर लगे हैं. सियासी जानकारों की मानें तो दही-चूड़ा भोज को पटना से बाहर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र तक विस्तारित करने का बड़ा कारण राजद का कोर वोट बैंक भी है.
यादव वोटरों पर पकड़
बिहार में हुई जाति गणना में राज्य में सबसे ज्यादा यादवों की आबादी 14.26 फीसदी है. वर्ष 1990 के बाद से यादवों को अपने कोर वोट बैंक के रूप में गोलबंद रखने में लालू यादव बड़े स्तर पर सफल रहे हैं. एक बार फिर से इस कोर वोट बैंक को राजद के लिए विधानसभा चुनाव में एकजुट रखने के लिए दही-चूड़ा भोज अब काफी अहम रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.