Bihar News : गया में एससी एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 40 पीड़ितों को मिलेगा 22 लाख रूपये मुआवजा, डीएम ने दिया आदेश

Bihar News : गया में एससी एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तह

GAYA : अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए बिहार सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा प्रदान करना है। जिला पदाधिकारी शशांक शुभंकर द्वारा आज 40 पीड़ित लाभुकों को 2278600 रुपये मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया है, जो सीधे पीड़ित परिवार के बैंक खाते में जाएगी।

उन्होंने बताया कि गया जिला के विभिन्न थानों से प्राप्त प्राथमिकी एवं आरोप पत्र पर भुनसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 एवं समय-समय पर पीडित/पीड़िता को राहत अनुदान के कुल 40 मामले जिसमें प्रथम किस्त के 24 मामलो में कुल राशि-978600/- एवं द्वितीय किस्त के 16 मामलो में कुल राशि- 1300000/- के भुगतान का आदेश दिया गया। डीएम ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यो को अत्याचार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम है। इस अधिनियम के के तहत् अत्याचार के मामलो में राहत अनुदान की राशि का भुगतान पीड़ित / पीड़िता को उनके आधार से सम्बद्ध बैंक खातो पर DBT के माध्यम से किया जा रहा है। इस अधिनियम के तहत् गाली गलौज एवं अपमानित करने के मामले में धारा 3 (1) (r) (s) मे कुल राशि 100000/- रू० जिसमें प्राथमिकी पर 25% (25000/-) न्यायालय में आरोप पत्र भेजे जाने पर 50% (50000/-) तथा दोष सिद्ध होने के उपरांत शेष 25% (25000/-) राशि का भुगतान किया जाता है।

मारपीट / गम्भीर चोट के मामलो में इस अधिनियम की धारा 3 (2) (va) के तहत् कुल राशि 200000/- जिसमें प्राथमिकी पर 25% (50000/-) न्यायालय में आरोप पत्र भेजे जाने पर 50% (100000/-) तथा दोष सिद्ध होने के उपरांत शेष 25% (50000/-) राशि का भुगतान किया जाता है। बलात्संग एवं सामुहिक बलात्संग के मामले में क्रमशः 500000/- एवं 825000/- जिसमें चिकित्सा जांच और पुष्टि के पश्चात् 50% तथा न्यायालय में आरोप पत्र भेजे जाने पर 25% तथा दोष सिद्धि के उपरांत शेष 25% का भुगतान पीड़िता को उनके खाते पर DBT के माध्यम से किया जाता है।

हत्या या मृत्यु के मामलो में कुल अनुमान्य राशि 825000/- जिसमें शव परीक्षण के उपरांत 50% रू 412500/- तथा न्यायालय में आरोप पत्र भेजे जाने पर 50% 412500/- पीड़ित के आश्रित को रू० 5000/- एवं महंगाई भर्त्ता के साथ प्रतिमाह पेंशन तथा न्यायालय में आरोप गठन के उपरांत परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दिये जाने का प्रावधान है।

गया से मनोज की रिपोर्ट