Flood in Gaya ji: गया जी में प्रलय बनकर टूटी बारिश! उफनती नदियों ने निगला जनजीवन, बर्बादी के मंजर से कांप उठा इलाका
Flood in Gaya: आसमान से बरस रही आफत ने गया जी और आसपास के इलाके को बर्बादी के दलदल में धकेल दिया है। ...

Flood in Gaya: बिहार-झारखंड की सरहद पर आसमान से बरस रही आफत ने बोधगया और आसपास के इलाके को बर्बादी के दलदल में धकेल दिया है। बीते 48 घंटे से हो रही मूसलाधार बारिश ने नदियों को उफान पर ला दिया है। बोधगया के मुहाने नदी में आए अचानक सैलाब ने ऐसा तांडव मचाया कि देखते ही देखते 40 से अधिक गाँव जलमग्न हो गए। लोग घर छोड़कर पलायन को मजबूर हैं, खेत-खलिहान तबाह हो चुके हैं और चारों ओर सिर्फ और सिर्फ तबाही का मंजर दिख रहा है।
नदी किनारे बसे गांवों में पानी ने जबरन दस्तक दी है। मकानों में घुसे पानी ने लोगों का राशन, सामान और रोजमर्रा की जिंदगी को निगल लिया है। किसानों की तो कमर ही टूट गई है—खेतों में खड़ी मूंग की फसल पानी में गलकर सड़ चुकी है। बसाढ़ी पंचायत के बतसपुर से छाछ जाने वाली मुख्य सड़क पानी के तेज बहाव में बह गई, जिससे इलाके के दर्जनों गाँवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है। यह इलाका अब एक टापू की तरह हो गया है—न रास्ता, न साधन, बस पानी और परेशानी।
हालात की गंभीरता को देखते हुए अंचलाधिकारी महेश कुमार खुद मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि पानी की निकासी के लिए टूटी सड़क को काटा गया है, ताकि बाढ़ का पानी बाहर निकल सके। मगर खतरा अभी टला नहीं है—रात में बारिश और तेज हुई तो हालात और बिगड़ सकते हैं। राहत और बचाव के नाम पर शुरुआती कदम तो उठाए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों का भरोसा अब भी डगमगाया हुआ है। उनका आरोप है कि वर्षों से अधूरा पड़ा बांध अगर बन गया होता, तो आज ये दिन देखने को नहीं मिलता।
इस बाढ़ ने सिर्फ पानी नहीं लाया, साथ में दर्द, त्रासदी और टूटते सपनों की कहानियाँ भी लाया है। कई ग्रामीणों ने बताया कि उनके मवेशी बह गए, घर पूरी तरह डूब गए और खाने तक को कुछ नहीं बचा। एक महिला फूट-फूटकर कहती है, "हमने पूरी उम्र की कमाई से जो घर बनाया था, वो सब खत्म हो गया।"
अब सवाल ये है कि क्या ये तबाही सिर्फ मौसम की मार है, या सरकारी लापरवाही भी इसके पीछे जिम्मेदार है? क्या प्रशासन समय रहते लोगों को राहत पहुँचा पाएगा, या फिर ये बाढ़ भी हर साल की तरह सिर्फ एक 'आपदा कथा' बनकर रह जाएगी?