GAYA : पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज आज गया पहुँचें। इस मौके पर उन्होंने राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि वे शासन करने की क्षमता नहीं रखते और देसी-विदेशी कंपनियों को ठेका देकर शासन चला रहे हैं, आने वाले दिनों में विदेशी कंपनियां ही शासन चलाएगी। गया के डेल्हा स्थित अवस्थी मंदिर में पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी का पावन आगमन हुआ। अवस्थी मंदिर के शशांक अवस्थी ने जगद्गुरु का स्वागत किया।
इस अवसर पर जगद्गुरु ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मठ-मंदिरों को केंद्र बिंदु बनाकर समाज की संरचना में स्वस्थ भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि वे शासन करने की क्षमता नहीं रखते और देसी-विदेशी कंपनियों को ठेका देकर शासन चला रहे हैं। उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में जब नेताओं में ठेका देने की भी क्षमता नहीं रहेगी, तब विदेशी कंपनियां ही विश्व पर शासन करेंगी। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब और ईसा मसीह के पूर्वज भी वेदकाल में सनातनी हिंदू ही थे। उनके इस बयान से धर्म और राजनीति के बीच एक नई बहस शुरू हो सकती है।
बताते चलें की शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी का जन्म बिहार प्रान्त के मधुबनी जिले के हरिपुर बख्शी टोल मानक गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम नीलाम्बर था। शंकराचार्य निश्चलानंद के अनुयायी देश विदेश दोनों जगह पर हैं, उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में हुई थी। उसके बाद उनकी सारी शिक्षा बिहार में ही हुई है। बताया जाता है कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद पढ़ाई के साथ-साथ कुश्ती,कबड्डी के अलावा फुटबॉल के भी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं। 18 अप्रैल 1974 को हरिद्वार में लगभग 31 वर्ष की आयु में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज के शरण में उनका संन्यास सम्पन्न हुआ। फिर उसके बाद उनका नाम निश्चलानन्द सरस्वती रखा गया। गोवर्धन मठ पुरी के तत्कालीन 144 वें शंकराचार्य पूज्यपाद जगद्गुरु स्वामी निरंजन देव तीर्थ महाराज ने स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी मानकर 9 फरवरी 1992 को उन्हें अपने गोवर्धन मठ पुरी के 145 वें शंकराचार्य पद पर पदासीन किया।
गया से मनोज की रिपोर्ट