GAYA - बच्चों में बहरेपन की जांच, उपचार और सर्जरी की पहल को लेकर जिला में चलाये गये श्रवण श्रुति कार्यक्रम को नेशनल समिट ऑन बेस्ट प्रैक्टिसेज के लिए चयनित किया गया है। बेस्ट इनोवेशन ऑल ओवर कंट्री भर में लगभग 40 प्रोजेक्ट शामिल हुए हैं जिनमें बिहार के गया जिला का श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट शामिल हुआ है।
जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। इस परियोजना की शुरुआत एक अप्रैल 2021 से हुई थी। इस कार्यक्रम ने बिहार में श्रवण स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य को बदल दिया है। अब तक श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से चार लाख 25 हजार 911 बच्चों के कानों की जांच की जा चुकी है। एक हजार 739 बच्चों का बेरा टेस्ट किया गया है। 70 बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट किया जा चुका है। एक हजार 769 बच्चों को सुनने वाली मशीन मुहैया करायी गयी। एक हजार 839 बच्चों को स्पीच थेरेपी दिया गया है।
घर—घर जाकर होती है बच्चों की जांच
मूक बधिर बच्चों को चिन्हित करने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सक तथा आशा स्वास्थ्यकर्मी घर—घर जाकर तथा कैंप मोड में बच्चों के कानों की जांच करते हैं। इसके बाद उन्हें जिला के प्रभावती अस्पताल में बनाये गये डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर बेरा टेस्ट के लिए भेजा जाता है, जहां पर फिर से जांच के बाद बच्चों को कॉकलियर इंप्लांट के लिए सर्जरी के लिए कानपुर भेजा जाता है। सर्जरी के बाद बच्चे को स्पीच थेरेपी दिया जाता है। स्पीच थेरेपी के लिए अनुभवी थेरेपिस्ट मौजूद हैं। इलाज कराये सभी बच्चों का डिजिटल ट्रैकिंग होता है। श्रवण श्रुति कार्यक्रम का अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए पंचायत, स्वयं सहायता समूह एवं स्थानीय शासन इकाईयों के माध्यम से समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
सामुदायिक सहभागिता पर बल
श्रवण श्रुति कार्यक्रम में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित कराने के लिए पंचायत, आशाकर्मी तथा आइसीडीएस टीम को मोबिलाइज किया गया। इनमें डोर—टू—डोर सर्वे, परिजनों के साथ बैठक, सोशल मीडिया का इस्तेमाल तथा ग्राम सभा में श्रवण श्रुति कार्यक्रम विषय पर चर्चा शामिल है।
गया से संतोष कुमार की रिपोर्ट