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Kishore Kunal NEWS - पंचतत्व में विलीन हुए आचार्य किशोर कुणाल, अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हजारों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

Kishore Kunal DEATH NEWS - महावीर न्यास बोर्ड के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का हाजीपुर के कोनाहारा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे शायन कुणाल ने मुखाग्नि दी। इस दौरान हजारों लोगों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी।

 Kishore Kunal NEWS - पंचतत्व में विलीन हुए आचार्य किशोर कुणाल, अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हजारों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

HAJIPUR - बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी और धार्मिक न्यास बोर्ड के संस्थापक आचार्य किशोर कुणाल का हाजीपुर में अंतिम संस्कार किया गया है। उनकी इच्छा थी कि तीर्थमोक्ष धाम कोनहारा में ही पंचतत्व में विलीन हों। आचार्य किशोर कुणाल का 29 दिसंबर को हार्ट अटैक से निधन हो गया था। वह 74 साल के थे। उन्होंने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।

अंतिम दर्शन के लिए दूसरे प्रदेश से पहुंचे थे लोग

उनके पार्थिव शरीर को पटना स्थित निजी आवास से महावीर मंदिर होते हुए हाजीपुर के कोनहारा घाट पहुंचा था। जहां बिहार सरकार के मंत्री अशोक कुमार चौधरी समस्तीपुर सांसद संभवी चौधरी, समेत कई सांसद और विधायक शामिल हुए थे। आचार्य किशोर कुणाल का अंतिम दर्शन करने को लेकर जिले ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से भी लोग किए थे। 

कोनहरा घाट पर जिला प्रशासन के द्वारा राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान हजारों की संख्या उनके चहेते और अनुयायियों ने आचार्य किशोर कुणाल का एक झलक पाने को लेकर व्याकुल थे। आचार्य किशोर कुणाल धर्म और आस्था को लेकर काफी एक्टिव थे।

पुलिस विभाग के कई अधिकारी भी पहुंचे

पूर्व सांसद रामाकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह, लालगंज बीजेपी MLA संजय कुमार सिंह, राजू तिवारी, मंत्री जमाखां, MLA मुकेश रौशन समेत कई दिग्गज नेता शामिल हुए। वहीं पूर्व IPS को एक झलक पाने के लिए बिहार पुलिस विभाग के कई अधिकारी और वैशाली SP हर किशोर राय ADM विनोद कुमार भी मौजूद थे।

लालगंज बीजेपी MLA संजय कुमार सिंह ने कहा कि दुनिया के सनातनी आज रो रहे हैं सनातनी समाज के लोगों को जो आज छती हुई है वह कभी पूर्ति नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल ने लोगों और समाज के बीच धर्म को लेकर उदाहरण प्रस्तुत किए थे धार्मिक कर्मकांड को समाज के लिए उन्होंने उपयोगी बनाया। आज इस क्षति की पूर्ति नहीं की जा सकती है।

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