बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

कार्तिक मास में घी का दीपक जलाकर प्राप्त करें स्वर्ग की दिव्यता, जानें कहां और कैसे अर्पित करें दीप

कार्तिक का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। कार्तिक मास में दीपदान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस महीने में दीपदान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कार्तिक मास में घी का दीपक जलाकर प्राप्त करें स्वर्ग की दिव्यता, जानें कहां और कैसे अर्पित करें दीप

कार्तिक मास, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला महीना है, और इस दौरान दीपदान का अद्वितीय महत्व होता है। इस धार्मिक अनुष्ठान से व्यक्ति न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त करता है, बल्कि उसे मोक्ष का मार्ग भी मिल सकता है। लिंगपुराण और अग्निपुराण में दीपदान के महत्व और इसके लाभों का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जो इसे हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक अनुष्ठानों में से एक बनाता है।


शिव के समक्ष दीपदान का महत्व

लिंगपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति कार्तिक मास में शिवजी के समक्ष घृत (गाय के घी) से दीपक जलाता है, वह ब्रह्मलोक की यात्रा करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति एक बार भी शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक समर्पित करता है, वह स्थिर गति यानी मोक्ष प्राप्त करता है, जो साधारण वर्णाश्रमी व्यक्तियों के लिए भी दुर्लभ होता है। शिवजी के समक्ष लोहे, तांबे, चाँदी, या सोने के दीपक का दीपदान करने से दस हजार सूर्यों के समान उज्जवल विमानों द्वारा शिवलोक की यात्रा का योग बनता है। इतना ही नहीं, इस दौरान दीपदान की महिमा सुनने मात्र से भी व्यक्ति पुण्य का भागी बन जाता है।


अग्निपुराण के अनुसार दीपदान के अद्वितीय लाभ

अग्निपुराण में दीपदान का महत्व और भी अधिक बताया गया है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति देवमंदिर या ब्राह्मण के घर में एक वर्ष तक दीपदान करता है, तो उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से कार्तिक मास में दीपदान करने से व्यक्ति स्वर्गलोक को प्राप्त करता है और देवताओं द्वारा पूजित होता है। शास्त्रों के अनुसार, दीपदान से आयु, नेत्रज्योति, धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है और दीपदान करने वाला व्यक्ति सौभाग्ययुक्त होकर स्वर्गलोक में सुखपूर्वक वास करता है।


दीपदान की विधि और स्थान

दीपदान की प्रक्रिया को शास्त्रों में स्पष्ट किया गया है। मिट्टी, तांबा, चाँदी, पीतल या सोने के दीपक का उपयोग किया जा सकता है। विशेष रूप से मिट्टी के दीपक को कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर साफ कर लें। प्रदोषकाल या सूर्यास्त के बाद मंदिर में जाकर घी और तेल से दीपक जलाएं। घी के दीपक में रुई की बत्ती और तेल के दीपक में लाल धागे की बत्ती का उपयोग करें। दीपक को सीधे जमीन पर न रखकर चावल या सप्तधान्य का आसन दें।


पाँच विशेष दिन दीपदान का महत्व

यदि आप प्रतिदिन दीपदान नहीं कर पाते हैं, तो पद्मपुराण के अनुसार, कार्तिक मास में पाँच विशेष दिनों में दीपदान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। ये पाँच दिन रमा एकादशी से लेकर दीपावली तक के होते हैं। इन दिनों में किया गया दीपदान अक्षय फल देता है और समस्त कामनाओं की पूर्ति करता है। इन दिनों घर, गौशाला, मंदिर, शमशान और नदियों के तट पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इससे पापमुक्ति के साथ-साथ पितरों की मोक्ष प्राप्ति होती है।


कार्तिक मास में दीपदान न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का साधन भी है। सही विधि और स्थान पर दीपदान करने से व्यक्ति को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और वह स्वर्गलोक की दिव्यता का अनुभव कर सकता है

Editor's Picks