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ACS सिद्धार्थ अपने शिक्षकों के लिए खड़े हो गए, यूट्यूबर्स की जमकर लगाई क्लास,हिम्मत है तब पूछो सवाल...

डॉ. एस. सिद्धार्थ का यह बयान सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की शिक्षा प्रणाली पर सोचने के लिए प्रेरित करता है। उनका मानना है कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल दिखावा नहीं, बल्कि बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता और विकास सुनिश्चित करना है।

ACS सिद्धार्थ अपने शिक्षकों के लिए खड़े हो गए, यूट्यूबर्स की जमकर लगाई क्लास,हिम्मत है तब पूछो सवाल...
बिहार ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ यूट्यूबर्स पर भड़के- फोटो : social media

Bihar Education News: बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ का हाल ही में यूट्यूबर्स और प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ बयान काफी चर्चा में है, जिससे शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता और सरकारी-प्राइवेट स्कूलों की तुलना पर एक नई बहस छिड़ गई है। ACS सिद्धार्थ ने यूट्यूबर्स द्वारा सरकारी स्कूलों पर की जाने वाली आलोचनाओं का जवाब देते हुए प्राइवेट स्कूलों की शिक्षण प्रक्रिया और नियुक्ति प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।


सरकारी स्कूलों पर यूट्यूबर्स की आलोचना का जवाब

डॉ. सिद्धार्थ ने यूट्यूबर्स को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वे सरकारी स्कूलों पर सवाल उठाने के बजाय प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की गुणवत्ता और भर्ती प्रक्रिया की भी जांच करें। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में बिना किसी परीक्षा या सक्षमता जांच के शिक्षक नियुक्त होते हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षक केवल बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की सख्त परीक्षा और योग्यता मापदंड के बाद ही नियुक्त किए जाते हैं।


सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर जोर

सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया कि शिक्षा केवल ड्रेस कोड और अंग्रेजी अभिवादन पर निर्भर नहीं करती। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा, ड्रेस और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन इसके बावजूद अभिभावक गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने अभिभावकों से सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया और कहा कि सरकारी स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।


सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की तुलना पर ACS का मत

ACS सिद्धार्थ ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को मूल रूप से शिक्षित करना है, न कि उन्हें महंगे ड्रेस कोड और स्कूल के दिखावे से आकर्षित करना। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में दिखावा ज्यादा होता है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना सरकारी स्कूलों में दिया जाता है। सरकारी स्कूलों में योग्य और सख्त चयन प्रक्रिया से गुजरे हुए शिक्षक होते हैं जो बच्चों की बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम हैं।


प्रतिक्रिया और शिक्षा में सुधार की अपील

डॉ. सिद्धार्थ के इस बयान के बाद शिक्षा क्षेत्र में एक नई बहस शुरू हो गई है। कई लोग इस पर सहमत हैं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति सख्त प्रक्रिया से होती है, जिससे उनकी योग्यता सुनिश्चित होती है। दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि प्राइवेट स्कूल भी शिक्षा क्षेत्र में अहम योगदान देते हैं, लेकिन दोनों में सुधार की जरूरत है।


डॉ. सिद्धार्थ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूट्यूब और सोशल मीडिया पर सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ACS ने इस पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए बताया कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक पूरी तरह से योग्य हैं और सख्त चयन प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त होते हैं, जिससे उनकी शिक्षा का स्तर ऊंचा रहता है।

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